आइये दोस्तों आज हम बात करते है आजादी की, इस वर्ष हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे थे। बड़ी धुम धाम से मनाया जा रहा है और हो भी क्यूं ना हर भारतीय जोश में है। सरकार की तरफ से घर घर तिरंगा इवेन्ट भी हुआ था। और युवक लगभग सभी इसके जोश में लबरहेज थे।
बात करते है एक ऐसे अध्यादेश जिसके बाद लगभग हम गुलाम हो चुके है। हालात यह है के हम जो सभ्य देशों के गिनती में आने लगे थे। हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक के हितों को सर्वोच्य रखते हुये बनाया गया था। इस नये कानुन के कारण आज हम लगभग गुलाम है। और उसका यह है कि यह कानून विदेशी प्रभाव में बनाया गया है। इसके लिए किसी पार्टी को दोष देना बेइमानी होगा। क्योंकि इसमें सभी की बराबर हिस्सेदारी है। इस कानून के तहत किस तरह नागरिको के सर्वोच्य अधिकार छीने जा रहे है अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के इशारे पर और उसका नतिजा कहां तक हमारा देश पहुंच चुका है। या युं कहां जाये कि कहां तक हमे हमारे राजनेताओं ने पहुंचा दिया है
आज है देश की 17 पार्टियां एक साथ र्इडी के खिलाफ खड़ी हो गयी है। आपकों लगता होगा कि यह 17 पार्टीया शुरू से इसके खिलाफ खड़ी हुर्इ होगी। लेकिन ऐसा नही है इन पार्टियों का कहना है कि र्इडी पर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है वह गलत है इस पर पूर्ण विचार किया जाना चाहिए। कभी खबर आती है कि नेशनल हेराल्ड कि बिल्डींग को सील कर दिया है फिर पता चला कि बिल्डींग नही नेशनल हेराल्ड का दफ्तर सील किया है फिर पता चला की दफ्तर सील नही किया गया उसमें यंग इंडिया का दफ्तर सील कर दिया गया है खबर आयी कि सोनियां गांधी और राहुल गांधी के घर पर भारी भ्ेिाड़ जमा है फिर सुना कि वहा के सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिये गये है अकबर रोड़ जहां कांग्रेस का मुख्यालय है वहां भी कडे़े सुरक्षा इंतजाम किये गये है अचानक वहां सुरक्षा कम ही हो जाती है क्योंकि इसपर बवाल उठता है और संसद में इसपर आवाज उठने लगती है यानी कुछ ऐसा होने वाला था जो टल गया है कुछ लोगो का कहना था कि यह सब राहुल गांधी और सोनियां गांधी को डराने की कोशिश कि जा रही है जिसके तहत यह सब किया जा रहा है।
लेकिन सवाल यह है कि यह सब किस कानून तहत किया जा रहा है तो दिमाग में एक नाम कोन्धता है र्इडी यानी इन्फोर्समेन्ट डाइरेक्टेट जो कि अभी सबसे ज्यादा चर्चित शब्द है
क्या आप जानते है कि र्इडी जेसी अती शक्तिशाली संविधान की मुलभावना के विपरित काम करने वाली जो सस्था है इसे बनाने का जो आदेश है जो दिशा निर्देश है वो विदेशों से आये हुए आए हुये दिशा निर्देश है यह आदेश भारत के बाहर से आया है आज हम आपको बताऐंगे कि यह सस्था कितनी खतरनाक है और यह हम नही बता रहे है यह वही नेता लोग बता रहे है जिन्होने इसको बनाया है।
सुप्रीम की तिन जजेज कि बेंच में फैसला दिया कि अब आपकों पुलिस पकड़ने आ रही है तो पुलिस को आपको यह बताने कि जरूरत नही है कि आपको क्यूं कस्ट्डी में लिया जा रहा है पुलिस आपको कहेगी कि आपको कस्ट्डी में लिया जा रहा है आप कारण पुछेंगे तो पुलिस कहेगी हम आपको नही बता सकते है। यदि गिरफ्तार भी किया जाता है तो आपको कारण नही बताया जायेगा। किसी वारण्ट कि जरूरत नही सीधा आया गिरफ्तार किया ओर चल दिये। यह प्रोविजन है इस कानून में और तो और जमानत की जो शर्ते है वो भी विशेष है उदाहरण के लिए मान लिजिए। राहुल गांधी को जब र्इडी पकड़ने आयेगी तो पहले तो बताऐगी नही कि क्यों पकड़ा जा रहा है फिर आप कहेंगे कि हमे जमानत चाहिए तो र्इडी कहेगी बिल्कुल लिजिए। पुछा जायेगा कि कैसे मिलेगी जमानत तो कहा जायेगा कि आप कैसे निर्दोष हो यह कहा जायेगा कि आप खुद साबित करो कि आप निर्दोष हो।
आम तोर पर पुलिस जांच करती है सबुत ढुढती है न्यायलय में मुजरिम को पेश करती है फिर उसके आधार पर कहा जाता है कि जज साहब यही व्यक्ति दोषी है इसके बाद जज सुनवार्इ करता है जमानत देने पर विचार करता है लेकिन र्इडी के केस में र्इडी स्वयं पुछती है कि भैया तुम बताओं कि तुम्हारी गलती नही है र्इडी कहेगी आप बताओं आप साबित करों कि आप बेकसुर हो।
दोषी करार दिया गया व्यक्ति कहेगा कि हुजुर आप यह तो बताओं कि हमे किस विषय में अपने आपको निर्दोष साबित करना है या हमे बतायेंगे चार्ज क्या लगा है और हमारे देश के कानून में यह सब नागरिकों के अधिकार है लेकिन र्इडी का कानून बिलकुल अलग है वहां आपकों यह भी नही बताया जायेगा कि आपके खिलाफ चार्ज क्या है यानी आपको चार्ज शीट नही दिखार्इ जायेगी। आपको गिरफ्तारी का कारण भी नही बताया जायेगा। आपको जमानत भी दि जायेगी। लेकिन आपको यह नही बताया जायेगा कि आपको किस विषय में जमानत दी गयी है। जो ‘प्रिवेन्शन ऑफ मन्नीलांड्रंग एक्ट है’ (PMLA) उसके अन्दर प्रावधान किये है इस देश कि सरकार ने मतलब यदी आपको एक बार अन्दर कर दिया तो आप जमानत भी नही ले पाओगे आपके पास कोर्इ अधिकार भी नही बचा है। लगभग यही प्रावधान यु.ए.पी.ए. में भी है कप्पन साहब जो केरल के पत्रकार महोदय थे अलिगढ़ रेप केस कवर करने जा रहे थे। उनकों अलिगढ़ से गिरफ्तार कर लिया गया और आज तक वह गिरफ्तार ही है आज वह जेल मे ही है उस कानून में भी यही प्रावधान है।
जमानत के प्रावधान मनमाने है अब बात यह है कि इस कानून को पारित कैसे किया गया है अंतर्राष्ट्रीय दबाव में यह कानून पारित किया गया है। भारत के संविधान में जो मूल बात है कि एक भी बेकसुर को सजा नही होनी चाहिए। चाहे सौ कसुरवार छुट जाये यह कानून ठीक विपरित है अर्थात चाहे सौ बेकसुर फंस जाये लेकिन एक आदमी से आप यह कहलवादों की वही दोषी है।
सन् 2002 में जब यह कानून लाया गया था तब अटल जी की सरकार थी एक खास परिस्थति में लाया गया था और वह परिस्थिति कि अमेरिका ट्विन टॉवर पर हमला हो गया था और 9/11 के बाद अमेरिका पुरे विश्व पर दबाव बनाता है कि ऐसे कानून बनाओं कि आतंकवादियों को होने वाले फंडिंग को रोका जा सके। और उसके मसौदे संयुक्त राष्ट्र संग में प्रस्ताव पारित करने हेतु तेयार हो जाता है फिर सभी देशों को कहा जाता है कि इसे लागू करों। उसके बाद मनमोहन सरकार आती है और यह सरकार भी उस कानून को सख्त से सख्त बनाती जाती है और हालात यह है कि आज उनके स्वयं के नेता र्इडी के जाल में फंसे है।
कानून तो बना था कि आतंक कि फंडिंग को रोकने के लिए अब आतंक की फंडिंग एक तरफ हो गयी है आर्थिक अपराद एक तरह हो गया है अब राजनितिग्यों को सबसे ज्यादा फंसाया जा रहा है। आकंड़ा कहता है 2002 में यह कानून बना था। 2005 में इसे लागू किया गया था। मतलब दोनों सरकारे और इनके सहयोगी बराबर के हिस्सेदार है और 5422 केस इन्होने लगाये गये थे इनमें से सिर्फ तेर्इस में सजा हो चुकी है इसके अलावा 2014 से लेकर अब तक जबसे मोदी सरकार आयी है इन्होने इसका अन्धाधून्ध इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और इसके तहत जो रेड़ पड़ती थी उसकी संख्या 27 गुणा हो गयी है कोर्ट के अधिकारों को छिन के र्इडी को दे दिया गया है। सम्मन करने का अधिकार स्टेटमेंट लेने का अधिकार और जांच करने का अधिकार तीनों र्इडी को दे दिया गया है जबकि इससे पहले सम्मन सिर्फ मजिस्टे्रेट कर सकता था। मतलब इस कानून में पुरी व्यवस्था को तोड़ दिया गया। र्इडी के सामने जो आप बयान देंगे। उसे शपथ पत्र की श्रेणी में रखा जायेगा। अदालत के समान उस बयान कि मान्यता होगी बंद कमरे में दिया गया बयान मान्य होगा। यदि आपने उनके मुताबिक बयान नही दिया तो आपको तत्थ्यों को तोड़ने मड़ोरने का आरोपी भी माना जायेगा। और आपके बयान लेने वाला कानून का जानकार भी नही है वो एक सरकारी अधिकारी है वो किसी भी विषय का हो सकता है साथ ही उसको किसी को भी गिरफ्तारी करने का अधिकार होगा उसे कोर्इ दोष नही दिया जायेगा। पहले ऐसे मामलों में सजा हो जाती थी। अब यह एक्ट कैसे लाया गया या यूं कहें कि धोखे से लाया गया। बजट के बिच में कुछ हिस्से इस सरकार ने इस बिल में शामिल करवा दिया और उन हिस्सों में यह विशेष अधिकार दिये गये है र्इडी को यह अधिकार शामिल है अब बजट पर कोर्इ विशेष चर्चा होती नही है बजट पारीत कर दिया जाता है और बड़ी बात यह है कि बजट को राज्यसभा में अनुमोदन के लिए नही भेजा जाता है यह लोकसभा में पारित किया जाता है इसमें राज्यसभा के द्वारा कोर्इ सन्शोधन नही होता है
2019 में जब यह परिवर्तन किये गये तब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे पास कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने तिन जजो की बेंच यह कहती है की यह कानून एकदम सही है अब इसलिए 17 दलों के लोग खड़े हो जाते है क्योंकि चिंता इस बात की है कि इन्होने देश के नागरिकों के खिलाफ असिम शक्तियां एजेन्सी को देदी थी। लेकिन उन्ही शक्तियों का दुरूपयोग इनके खिलाफ होगा।
लेकिन सोचने वाली बात है कि जब यह कानून बना था तो सब चुप क्यों थे क्योंकि इस कानून पिछे अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां थी जो इस कानून को पुरी दुनियां में लागू करवाना चाहती थी और उन शक्तियो से पंगा कौन लेगा चाहेगा। मतलब बाहरी शक्तियो को खुश करने के लिए अपने देश की न्यायीक व्यवस्था नागरिको के अधिकार सबको रोंध दो।
भार्इ यह तो सोनिया गांधी है जिनके पंक्ष में एक बड़ा जनसमूदाय खड़ा हो गया। इसकी जगह अपना जगदिश दुधवाला होता तो क्या होता दुधवाले कि छोड़िये कप्पन साहब जैसे पत्रकार भी कुछ नही कर पा रहे है सवाल यह है कि हमे फिर से एक गुलामी कि तरफ तो नही ढकेला जा रहा है।