शहर के हृदय स्थल एवं जन-जन की आस्था का केंद्र श्री स्वरूपली डूंगरी पर स्थित श्री मां शाकंभरी मंदिर में श्री बालाजी महाराज की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का तीन दिवसीय कार्यक्रम का कल मूर्ति स्थापना के साथ विधिवत्त समापन हुआ। प्रवासी उद्योगपति एवं शहर के जाने-माने भामाशाह श्री चंद्र प्रकाश जी ने अपने पिता स्वर्गीय रामानंद जी सोनी की स्मृति में शाकंभरी मंदिर स्थित डूगरी पर बहुत ही भव्य मंदिर का निर्माण करवा कर अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री बालाजी महाराज की मूर्ति का वैदिक मंत्र उच्चारण एवं विविध प्रकार की पूजा अर्चना के साथ सपरिवार प्राण प्रतिष्ठा करवाई।

तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन में सर्वप्रथम आवाहित देवी देवताओं स्थापित देवी देवताओं शाकंभरी माताजी, शंकर भगवान, श्री भैरव जी एवं नवग्रह षोडष मंडल आदि की वैदिक एवं शास्त्रोंक्त मंत्र उच्चारण द्वारा पूजा अर्चना करवाई गई। पूजा अर्चना के अंतर्गत श्री हनुमान जी महाराज की मूर्ति को सबसे पहले धान्यवास, जलाधि वास, पुष्पवास, फलादि वास एवं पंचामृत द्वारा अभिषेक करवाकर एवं हवन यज्ञ से शास्त्रोंक्त वैदिक मन्त्रोचारण द्वारा शुभ समय मध्यान के समय प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। उसके पश्चात बालाजी के श्री चरणों में संगीतमय सुंदरकांड का भव्य पठन किया गया।

प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्री बालाजी महाराज की दिव्य झांकी को सवारी पर सजाकर माताजी के ओरण में एवं वन में धूमधाम जय कारो के साथ हर्षोल्लास से ढोल, झालर, शंख एवं बैंड बाजे के साथ भ्रमण कराया गया। इससे पहले मुख्य यजमान श्री चंद्र प्रकाश जी का श्रीमान शाकंभरी मंडल ट्रस्ट के द्वारा माला साफा एवं दुपट्टा पहना कर सम्मान किया गया। तथा उपस्थित परिवार जनों का एवं शहर के मुख्य व्यक्तियों का भी दुपट्टा पहना कर सम्मान किया गया।

ट्रस्ट के अध्यक्ष सुंदरलाल कासट, सचिव सुतेंद्र सारस्वत ,उपाध्यक्ष कृष्ण अवतार लाटा, दुर्गा राम चौधरी, श्रवण नान सोनी, मुकेश सैन,सुरेन्द्र सिंह पलाड़ा,गिरवर सिंह,सुरेन्द्र सिंह राजावत, राजकुमार जांगिड़, मुरारी गौड द्वारा यजमान दंपति का एवं उनके परिवार जनों का स्वागत सम्मान किया गया। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कुचामन गौशाला के अध्यक्ष नंदकिशोर बिडला, राधेश्याम झवर, लॉयन्स क्लब के श्री राम काबरा, डॉक्टर वी के गुप्ता, कल्पना गुप्ता सहित शहर के कई गण मान्य व्यक्ति इस धार्मिक आयोजन में उपस्थित थे।

इस भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पश्चात प्रसादी का भी आयोजन किया गया मंदिर प्रांगण में आगंतुक दर्श नार्थियों एवं श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा तथा दिनभर भजन कीर्तन चल रहा था। आगंतुक प्रत्येक दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरण किया गया तथा आयोजित कार्यक्रमों में उपस्थिति दर्ज कराकर अपने आप को सभी दर्शनार्थियों ने धन्य महसूस किया।