Wednesday , 26 March 2025

वाल्मीकि रामायण के विपरीत शाही रामायण

दोस्तों रामायण के कई संस्करण लिखा जा चुके हैं।पिछले दिनों एक संस्करण तिब्बती रामायण देखने को मिली हमारे रामायण के विपरीत कई चीज ऐसी थी,जो हैरान कर देने वाली थी मसलन सीता रावण की बेटी थी,राम को कोई वनवास नहीं होता, राम दशरथ के छोटे बेटे थे, भरत शत्रुघ्न का इस रामायण में कोई अस्तित्व नहीं है।

                20वीं सदी के शुरुआत में मिली थी रामायण के तिब्बती वर्जन की 20 पांडुलिपियों प्राचीन समय में तिब्बत और भारत के बीच व्यापार के आदान-प्रदान के दौरान रामायण वहां वहां गई लेकिन बहुत कुछ ऐसा है जो हैरान कर देने वाला है।

               1929 में एफ डब्लू थॉमस द्वारा इस संस्करण की खोज की गई तिब्बत की एक गुफा में इस रामायण की पांडुलिपिया मिली उसके आधार पर पता लगा कि  तिब्बती रामायण में राम सीता की कहानी कुछ अलग सी है मतलब सीता का असल पिता रावण था उसे पहले ही बता दिया गया था कि यह बेटी उसकी मौत का कारण बनेगी।यह एक शाही रामायण थी ओर दक्षिण पूर्वी एशिया के राजाओं में बहुत ही लोकप्रिय थी।

               रामायण एक हिंदू महाकाव्य है जो लगभग 300 वर्ष पुराना है, रामायण के 30 से ज्यादा संस्करण है।खुद भारत में जैन रामायण तथा बौद्ध रामायण अलग तरह की कहानी कहती है, रामायण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत में है जिसका श्री ऋषि नारद को जाता है नारद ने यह कहानी वाल्मीकि को बताई जिन्होंने फिर वाल्मीकि रामायण लिखी जो रामायण का सबसे पुराना संस्करण है।

                 यह बात 20वीं सदी की शुरुआत की है जब चीन के शिन जियांग प्रांत में सिल्क रोड के पूर्वी छोर पर एक पुरातात्विक स्थल हूण हुआग कि गुफाओं में रामायण के अंशो वाली छह अधूरी पांडुलिपियों मिली यह तिब्बती भाषा में लिखी गई थी जो आठवीं शताब्दी की मानी गई यह शाही रामायण की प्रारंभिक शैली से संबंधित है।

            यहां दशरथ बौद्ध संतों की पूजा करते थे और वे निसंतान थे,उन्हें देवताओं द्वारा एक फूल यह कह कर दिया जाता है कि इसे अपनी सबसे प्रिय रानी को दे देना उसे संतान पैदा होगी इस फूल को दशरथ छोटी रानी को दे देते हैं। छोटी रानी पुत्र राम को जन्म देती है लेकिन इससे पहले ही उनकी बड़ी रानी अपने पुत्र लक्ष्मण को जन्म दे देती है इस तरह से लक्ष्मण राम से बड़े  हुए इस रामायण में भरत और शत्रुघ्न का कोई भी अस्तित्व नहीं है।

            जब नया राजा चुनने की बात आती है तो दशरथ के सामने समस्या खड़ी  हो जाती है।

 अंततः छोटी रानी के पुत्र राम को राजा चुना जाता है लेकिन राम लक्ष्मण के लिए राजगद्दी का त्याग कर देते हैं हालांकि लक्ष्मण भी इसे स्वीकार नहीं करते और राम की पादुकाएं सिंहासन पर रखते हैं और खुद मंत्री बना चुनते हैं,इस रामायण में वनवास के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

               यहां सीता रावण की बेटी है (यही जैन रामायण में भी है )उसे चेतावनी मिलती है कि यह बेटी उसकी मृत्यु का कारण बनेगी लिहाजा रावण अपनी इस बेटी का परित्याग कर देता है उसे एक तांबे के बक्से में भरकर समुद्र में बहा देता है जो बच्चा एक किसान को मिलता है वही किसान सीता को पाल-पोसकर बड़ा करता है वह सीता का नाम रोलर्नेदमा रखता है। यह कन्या राम से विवाह कर लेती है विवाह के बाद राम उसका नाम सीता रखते हैं उधर रावण की बहन फुरमाला (यहां पर सूर्पनखा) राम से शादी करना चाहती है लेकिन जब राम उसे स्वीकार कर देते हैं फुरमाला नाराज होकर इसकी शिकायत अपने भाई रावण से करती है।

                इस रामायण में राम को रमण के रूप में दिखाया गया है,जब राम हिरण के शिकार पर जाते हैं तो लक्ष्मण भी उनके पीछे जाते हैं तब रावण को मौका मिलता है और वह सीता का हरण करने के लिए सुंदर हाथी का रूप धरकर आता है और सीता को अपने ऊपर बैठने के लिए ललचाता है इससे वह असफल रहता है तो वह घोड़े का रूप धर लेता है लेकिन वह फिर भी असफल रहता है तो वह जमीन सहित सीता को उखाड़ कर ले जाता है उसे जमीन सहित इसलिए उखड़ता है क्योंकि उसको डर होता है कि यदि वह सीता को छू लेगा तो आग की लपटों में घिरकर जल जाएगा।

               जब राम सीता को तलाश करने निकलते हैं तो उनका सामना काली नदी से होता है जहाँ सुग्रीव से मुलाकात होती है। सुग्रीव की आंखों,कानों और नाक से खून बहो रहा होता है।क्योंकि उसके बड़े भाई बाली ने उसे बुरी तरह पीटा है राम की मदद से सुग्रीव हिंसक बड़े भाई बाली को मार देता है इसके बदले वह सीता को खोजने में मदद का वादा करता है।

               इस रामायण की एक विशेषता यह भी है कि इसमें पत्र लेखन का उल्लेख है,लंका पर आक्रमण कर ने के लिए राम सुग्रीव को पत्र लिखते हैं वह सीता को पत्र लिखकर बताता है कि वह आ रहा है,सीता दूसरे पत्र से उत्तर देती है, बाद में सुग्रीव की मृत्यु हो जाती है तब हनुमान सुग्रीव का राज्य संभालते हैं जब हनुमान सीता की खोज के कार्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं तो राम पत्र लिखकर संपर्क में नहीं रहने के लिए हनुमान को डांटते हैं।

                राम और रावण का युद्ध होता है रावण अदृश्य हो जाता है तब राम उसको क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए रावण को अपने शरीर का काम से कम एक हिस्सा दिखाने को चुनौती देते हैं तब रावण केवल अपने दाहिने पैर के अंगूठे को प्रकट करता है।

              इस अंगूठे के आधार पर राम रावण का वध कर देते हैं तिब्बती रामायण में राम सीता की पवित्रता पर संदेह करते हैं उन्हें महल से बाहर भेज देते हैं तब हनुमान सीता की बेगुनाही को लेकर बहस करते हैं राम इससे सहमत होते हैं और सीता को  बच्चों सहित महल में ले आते हैं फिर वह खुशी के साथ रहने लगते हैं।

Author : Manoj Bhardwaj 

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मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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