दोस्तों गुजरात का मोरबी शहर मोरबी में मच्छु नदी के उपर बना एक केबल पुल (रस्सियों और लकडियो से बना पुल ) अचानक टूट जाता हे ,और इस हादसे में लगभग 145 लोगो की मौत हो जाती हे लगभग १४३ साल पहले सन १८८० में मुंबई क गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने बनवाया था जिसकी लागत ३५०००० थी मोरबी के राजा इस पुल से आते जाते थे इस पुल की लम्बाई ७६५ फीट और चौड़ाई ४.५ फीट थी दोस्तों इस दुखान्तिका के बाद मोरबी के पुराने लोगो को ११ अगस्त १९७९ का वो मंजर याद आ गया जब मोरबी नदी मैं बाढ़ आई थी और बाँध के टूटने से हजारो लोगो और मवेशियों की मौत हो गई थी उस वक्त केंद्र और गुजरात दोनों मई ही जनता पार्टी का शासन था , बाढ़ में १४४९ लोग मारे गए
राजतन्त्र के खत्म होने के बाद इस पुल की देखरेख वह की नगर पालिका करने लगी लगभग ६ महीने पहले इस पुल को ओरेवा नामक कम्पनी को इस पुल की मरम्मत और देखरेख हेतु ठेके पर दिया गया साथ ही २ करोड़ रूपये का ठेका इस पुल की मरम्मत के लिए ओरेवा कम्पनी को दिया गया दोस्तों ओरेवा कम्पनी अजन्ता क नाम से घडिय बनती हे ,ओर्पेट क नाम से केलकुलेटर बनती हे और इलेक्ट्रानिक स्कूटर बनती हे निर्माण से समन्धित किसी भी बात का ज्ञान इस कम्पनी क पास नही हे
अब आते हे हम दुर्घटना वाले दिन हुए घटनाक्रम पर दोस्तों मरम्मत क लिए कम्पनी को ८ महीने का टाइम दिया गया था लेकिन दो महीने पूर्व ही कम्पनी क मालिक ने गत २६ ओक्ट्म्बुर को अपनी पुत्री के हाथो इस पुल का उद्घाटन रिबन कटवा कर करवा दिया रविवार के दिन किसी भी पिकनिक स्पॉट पर भीड़ ज्यदा होती हे लिहाजा वह भी भीड़ ज्यादा थी पुल की देखरेख करने वालो ने ५०० से ७०० लोगो को तिक्त दे दिया यह यह बात ध्यान देने वाली हे की एक टिकट की कीमत १७ रूपये थी और पुल की वजन सहन करने की क्षमता १०० लोगो की थी ऐसे मई ५०० से ज्यादा लोग पुल पर चढ़ गए लिहाजा पुल टूट गया
दोस्तों सन २०१६ में जब पश्चिमी बंगाल मई चुनाव हो रहे थे तब वह कोल्कता में एक ओवर ब्रिज टूट गया था और उसमे लगभग ३५ लोग मारे गए थे तब उस घटना को भुनाते हुए प्रधानमन्त्री ने उस घटना को एक्ट ऑफ़ गोद नही एक्ट ऑफ़ फ्रोड खा था सवाल यह उठता हे दोस्तों जब ममता बेनर्जी के राज्य में हुई दुर्घटना को एक्ट ऑफ़ फ्रोड कह सकते हे तो अपने राज्य में हुई पुल दुखान्तिका को क्या नाम दिया जाएगा