परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य विधासागर जी महाराज के सुशिष्य अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी अर्ह ध्यान योग प्रणेता परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागरजी महाराज, मुनि श्री विश्वाक्ष सागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री 105 अनुनय सागर के ससंघ के सानिध्य में नागौरी मन्दिरजी में कलशाभिषेक शांतिधारा के पश्चात श्रावकों के आग्रह पर संघ सहित कुचामन किले का अवलोकन किया व महाराज श्री ने बताया कि वैसे तो किले सब जगह देखे, लेकिन कुचामन किले में कुछ विशिष्ट विशेषताएँ देखने को मिली। महाराज श्री ने किले पर उपस्थित सर्वजन को अर्ह ध्यान योग का अभ्यास कराया।
अध्यक्ष विनोद झांझरी ने बताया कि नागौरी मन्दिर परिसर में स्थित चिन्मय संत निवास में महाराज श्री के प्रवचन से पूर्व आचार्यश्री का चित्र अनावरण करने, दीप प्रज्वलन करने एवं महाराज श्री को जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य श्राविका सुशीलाजी पाटनी परिवार (आर. के. मार्बल) को मिला व मुनि श्री के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य संतोषकुमार, प्रवीणकुमार, विपिनकुमार पहाड़िया परिवार को मिला।
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में बताया कि भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा, जिस पर सभी भरतवासियों को गर्व होना चाहिए व राजा-रजवाड़ा जिस प्रकार अपने राज्य की सुरक्षा के लिए परकोटे बनाते थे, उसी तरह सर्वजन को अपने दैनिक जीवन में धर्म ध्यान का आचरण करना चाहिए।
सकल दिगम्बर जैन समाज सीकर, मकराना, पाँचवा, कुकनवाली के श्रावकों द्वारा श्रीफल भेंट किया गया। साथ ही कुचामन जैन समाज की सभी धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा महाराजश्री को कुछ दिन के प्रवास के लिए श्रीफल भेंट किया गया।
पूर्व संध्या पर मुनिश्री एवं प्रतिष्ठाचार्य शुभम भैयाजी व पंडित अजयजी शास्त्री द्वारा वर्धमान स्त्रोत पाठ की आरती 64 दीपों से सभी श्रावक-श्राविकाओं द्वारा भक्तिभाव से की गई।
मंच संचालन प्रतिष्ठाचार्य शुभम भैयाजी एवं अशोक झांझरी ने किया।