डीडवाना जिला मुख्यालय में कई वर्षों से चली आ रही पारंपरिक ढोलची गैर और माली समाज द्वारा निकाली जाने वाली गैर इस बार भी होली पर धूमधाम से निकल गई सुबह हाकम द्वारा पहली डोलची मार कर गैर को रवाना किया गया, और यह गैर सभी प्रमुख मोहल्लों से होती हुई प्रमुख चौकों से होती हुई अंत में अजमेरी गेट पर जाकर समाप्त हुई।
इसके बाद मालियों की गैर शाम लगभग 4:00 बजे छापरी गेट से डीडवाना में प्रविष्ट हुई जो कि अंत में आढ का बॉस में समाप्त हुई पर पूरे राजस्थान में इन गैरों का एक विशिष्ट स्थान है या यू कहा जाए कि इन गैरों की वजह से डीडवाना पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है।
इसी प्रकार कुचामन में भी परंपरागत रूप से होली बनाई गई 23 मार्च को महामुर्खाधिराज की शोभायात्रा निकली गई,जिसमें महामूर्खधिराज की पदवी श्री भंवर सिंह पलाड़ा को मिली, इनके साथ मुख्य रूप से श्री भागीरथ राम चौधरी जिला प्रमुख, श्री हेमराज चावला, राधेश्याम गट्टानी, श्री विजय सिंह पलाड़ा,श्री कमल जैन, श्री भंवर सिंह पलाड़ा,श्री सत्यनारायण जी मोर, और श्री सुरेंद्र सिंह, डॉक्टर राजीव सिंह नोबल स्कूल कुचामन सिटी,श्रीपाल सिंह रसाल,दलपत सिंह जी गच्छीपुरा, अंकित वर्मा, श्री बबलू सिखवाल शोभा यात्रा आदि महामुर्खाधिराज के सहयोगी के रूप में साथ में थे।शोभायात्रा बग्गी में डीजे के साथ नाचते कूदते युवकों द्वारा नोबल स्कूल से शुरू होकर होली चौक पुराना बस स्टैंड पर यह शोभा यात्रा समाप्त हुई।
महामुर्ख कवि सम्मेलन महामुर्खाधिराज की शपथ ग्रहण के बाद प्रसिद्ध कवि हरीश हिंदुस्तानी, श्री सोहन चौधरी, श्री विवेक पारीक, श्री कमलेश शर्मा, श्रीमती चंदा पाराशर आदि का स्वागत हुआ महामुर्खाधिराज ने हरी झंडी दिखाकर कवि सम्मेलन की शुरुआत का आगाज किया।
इसी प्रकार 24 मार्च को चंग पर होली गीत और लोक नृत्य कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।जिसमें कई कलाकारों ने चंग पर गायन प्रस्तुत किया रात 11:15 बजे होली मंगाई गई।
होली के बाद पुनः लोक नृत्य कार्यक्रम देर रात तक चलते रहे जिसका श्रोताओं में भरपूर आनंद लिया इसके बाद रविवार को पूरे शहर में रंग और गुलाल लगाकर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी और इस तरह से परंपरागत रूप से होली का आयोजन कुचामन सिटी में किया गया।