कुछ दिनों पहले की बात है, सांसद बृजभूषणशरण सिंह सरेआम एक पत्रकार से कह रहे थे कौन काटेगा मेरी टिकट है किस में हिम्मत मेरी टिकट काटने की मतलब सांसद महोदय अपने आप को भारतीय लोकतंत्र से ऊपर समझने लगे हैं यह वही बृजभूषण शरण सिंह है जिनके खिलाफ महिला पहलवान खिलाड़ियों के शोषण के कई कहानियां है वही बृजभूषण शरण सिंह जिनके शोषण खिलाफ महिला पहलवान कई दिनों तक घर पर बैठी रही, और दिल्ली पुलिस की ज्यादतिया भी सही दिल्ली पुलिस ने उन्हें सड़क पर घसीटा भी सही, वही बृजभूषण शरण सिंह इसके लिए दिल्ली पुलिस में अपनी चार्ज शीट में कई महिला पहलवानों के खिलाफ कई अपराध सिद्ध करते हुए कहा है कि सांसद महोदय महिला पहलवानों के सीने पर सांस चेक करने के बहाने हाथ लगाते थे। पेट सहलाते थे और यह सब महिला पहलवानों के मर्जी के खिलाफ होता था लेकिन क्या कहा जाए इस बाहुबली सांसद के खिलाफ भारतीय न्याय व्यवस्था आज तक कुछ भी नहीं कर पाई है।
देश के माननीय प्रधानमंत्री ने इस बाहुबली सांसद के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला है वह सरें आम कहता है कि मेने एक आदमी को मार दिया था वह सरेआम देश के लोकतंत्र के मंदिर में फोटो खिंचवाता है लेकिन उसको कोई कुछ भी नहीं करता ऐसी तस्वीर भारत में कई जगह देखी जा सकती है एक बार किसी ने चुनाव लड़ लिया तो वह अपने आप को लोकतंत्र का मालिक समझने लगता है टिकट तो देना ही होगा वरना या तों पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ेंगे या दूसरी पार्टी में जाकर पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे मजे की बात तो यह है कि पढ़े लिखे लोग भी ऐसे लोगों को वोट देते हैं और उनके पक्ष में प्रचार तक करते हैं।
आखिर क्यों मर गया हमारा जमीर अभी पिछले दिनों हमारे पास के विधानसभा क्षेत्र के एक कांग्रेसी नेता का सेक्स स्कैंडल में जाकर हुआ उन पर कैसे भी दर्ज हो गया लेकिन फिर भी उनका टिकट भी मिल गई।
ऐसे कई उदाहरण है की एक बार जो विधायक या सांसद बन गया तो वह विधानसभा या संसदीय क्षेत्र उच्च व्यक्ति की जागीर बन गया है चुनाव तो वही लड़ेंगे चाहे उन्होंने कुछ किया हो या नहीं किया हो कैसी सोच रही है आखिर कभी तो लगेगा तभी जनता का।