Saturday , 15 March 2025

लापसी :गौसेवा या पाप

मेरे पिताजी ने 42 साल वन विभाग में सेवाएं दी है। जल जमीन जंगल और जानवरों के बारे में उन्हें काफी अच्छा अनुभव है। आज सुबह अख़बार पढ़ रहे थे तो उस दरमियान उन्होंने मुझे कुछ बाते बताई वो आपसे साझा करना चाहता हूँ।

गायो को लपसी और रोटी खिलाने को लेकर एक खबर छपी थी जिसमे 5100 किलो लपसी रोटी 19 गौ शालाओं में खिलाई गयी इसके अतिरिक्त 3000 किलो तरबूज गायो को खिलाए गये।

लपसी और रोटी गाय का भोजन नही है, गाय का भोजन है रिजका, चारा हरे पत्ते और हरी सब्जियों से बचने वाले अवशेष.. ये उनके लिए काजू बादाम है। गेंहू से बनी लपसी और रोटी गाय के पाचन तंत्र को बिगाड़ देती है.. आपने देखा होगा अक्सर गोबर में गेंहू के दाने होते है इसका कारण ये है कि वो गेंहू गाय के पेट में पचा नही.. अब आजकल अधिक पुण्य कमाने की होड़ में गाय को वो खिलाया जा रहा है जो इंसानों का भोजन है। गाय की स्वाद इंद्री ये नही जानती की मीठा क्या होता है, मीठा ही खिलाना है तो उसे गुड़ खिलाइये वो भी कम मात्रा में और समय सारणी के मुताबिक… जो चीज़ उनका भोजन नही है उस व्यंजन को खिलाकर आप तो पुण्य ले लोगे लेकिन गाय को सुकुन नही मिलेगा।

दूसरी बात.. कुछ समय पहले जोधपुर के अन्ना झरना इलाके में तक़रीबन 200 हस्ठपुष्ट बन्दर बुरी मौत मर गए। सभी बंदरो को खुजली का संक्रमण हो गया। उनकी खाल से बाल झड़ गये और त्वचा लाल हो गयी। ये मुद्दा कही भी नही उठा किसी ने इसका कारण तलाश नही किया की क्यों बंदरो की अकाल मौत हुई। दरअसल बंदरो की मौते देश के हर कोने में हो रही है इसका कारण यही दयालु लोग है जो अपनी कमाई से कुछ हिस्सा निकालकर बंदरो को खिलाते है। 200 बंदरो की मौत इसलिए हुई क्योकि लोगो ने उन्हें देशी घी के लड्डू खिलाने शुरू कर दिए। बंदरो को केले खिला रहे है पके हुए जबकि बंदरो का भोजन पका हुआ केला नही बल्कि केले के पत्ते और कच्चा केला है। बन्दर कच्चे केले, पत्ते और फलियां खाते है। हम इन्हें देशी घी के व्यंजन खिला रहे है ये उनके लिए जहर है जो इनके पेट में जमा होता है। इसी कारण बंदरो को त्वचा का संक्रमण हुआ।

तीसरी बात.. आजकल मछलियों को आटा खिलाने का रिवाज चल पड़ा है, 200 से 250 ग्राम आटे की छोटी लोइयो तक तो ठीक है लेकिन अब लोगो ने 10-10 किलो आटा तालाब में डालना शुरू कर दिया, वो आटा तल में जाकर जम जाता है और पानी को दूषित करता है जिसके कारण मछलियों की मौत हो जाती है। ध्यान रहे, आटा मछलियों का भोजन नही.. थोड़ी सी मात्रा में दिया जा सकता है किंतु अधिक में नही। ये पेट भरने के लिए नही है। हमारी दयालुता और धर्मान्धता के शिकार ये बेजुबान जानवर हुए जा रहे है।

अभी कुछ दिन पहले एक मित्र ने मुझसे कहा की “मेरे पालतू कुत्ते के बाल बहुत झड़ रहे है”। मेने कहा तुम उसे क्या खिलाते हो?

वो बोला “दूध रोटी अंडा सब खा लेता है ये”

मेने उसे कहा भाई “दूध रोटी कुत्ते का भोजन नही, इसके लिए बाजार में भोजन का पैकेट मिलता है उसके अलावा इसे तू वो चीज़े मत खिला जो तेरी जीभ को पसन्द है। इसे वो खिला जो इसकी जीभ को अच्छा लगे।

उसने बात पे अमल किया और आज कुत्ते के बाल झड़ना बंद हो गए।

हम सोचे की जानवरो के लिए अंधी मुहब्बत कही उनके लिए हानिकारक तो नही… copy

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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