दोस्तों 15 अगस्त 1947 भारत के लिए वह ऐतिहासिक दिन है जब देश को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली थी। यह दिन हमें उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान में झुकने का अवसर देता है, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
दोस्तों सवाल यह उठता है कि भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त के ही दिन को क्यों चुना गया। दरअसल 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था। और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उस समय ब्रिटेन की सेना में लॉर्ड माउंटबेटन एलाइड फोर्सज में कमांडर थे।
ऐसे में माउंटबेटन इस दिन को खास मानते थे जापानी सेना के आत्म समर्पण का पूरा श्रेय माउंटबेटन को ही दिया जाता है।ऐसे में माउंटबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे।और इसीलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना।
यह तो बात हुई दोस्तों इतिहास कई अब बात करते है हमारे शहर कई तो आज हमारे शहर कुचामन सिटी में भी स्वतंत्रता का पर्व 15 अगस्त बड़ी धूमधाम से मनाया गया।सभी स्कूलों में ध्वजारोहण के साथ शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए। कुचामन विकास समिति के संस्थानों द्वारा कुचामन कॉलेज में कार्यक्रम किया गया देखीेये उसकी कुछ झलकियां।
वही प्रातः विजन चिल्ड्रन एकेडमी में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया छोटे-छोटे बच्चों द्वारा देखीये उसकी भी कुछ झलकियां।
दोस्तों कुचामन सिटी का मुख्य कार्यक्रम स्थानीय स्टेडियम में मनाया गया जहां कुचामन की विभिन्न स्कूलों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। आइये देखते है रंगारंग कार्यक्रम।
दोस्तों यहां पर एडिशनल एसपी श्री ताराचंद जी की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आगाज ध्वजारोहण के साथ किया गया। वही सभापति नगर परिषद आसिफ खान,उपसभापति हेमराज चावला,उप खंड अधिकारी हुकमी चंद रोलानिया,नगर परिषद आयुक्त पिंटू लाल जाट आदि मंचा सीन थे।
दोस्तों इस अवसर पर कुचामन के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को मंच पर बुलाकर सम्मानित भी किया गया।
तो आईए देखते हैं कार्यक्रम की कुछ झलकियां।
दोस्तों अंत में महात्मा गांधी का वह संदेश जो उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल और कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं होने पर दिया था।
आजादी के समय जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र भेजकर स्वाधीनता दिवस पर आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था, लेकिन महात्मा गांधी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने पत्र के जवाब में जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल को कहा था कि, “मैं 15 अगस्त पर खुश नहीं हो सकता। मैं आपको धोखा नहीं देना चाहता, मगर इसके साथ ही मैं ये नहीं कहूंगा कि आप भी खुशी ना मनाएं। उन्होंने कहा था कि दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।”
कितना मार्मिक संदेश है दोस्तों। अफसोस की बात है दोस्तों कुछ लोग महात्मा गांधी को आज की स्थिति का जिम्मेदार बताते हैं।