आखिर वही हुआ जिसका डर था।आज विधानसभा में डीडवाना विधायक श्री यूनुस खान के एक प्रश्न के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट कर दिया कि मिनी सचिवालय व कलेक्ट्रेट डीडवाना में ही स्थाई रूप से बनेगा।और उसके लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई है।
इस घोषणा के साथ ही कुचामन शहर की बहुत प्रतिक्षित जिला बनाने की मांग भी धराशाई हो गई।दरअसल दोस्तों कुचामन सिटी के नागरिकों द्वारा पिछले 40 सालों से कुचामन को जिला बनाने की मांग की जा रही थी।और यही मांग डीडवाना द्वारा भी लगभग इतने ही समय से की जा रही थी।जब यूनुस खान डीडवाना से पहली बार विधायक चुने गए तो काफी शक्तिशाली मंत्री थे।उस समय उन्होंने अपनी कोशिशो से डीडवाना में सभी जिला स्तरीय कार्यालय खुलवा दिए थे और डीडवाना को जिला बनाने के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया था।
लेकिन अगली बार कांग्रेस की सरकार बन गई और डीडवाना जिला नहीं बन पाया अब जब कांग्रेस की सरकार बन गई तो नांवा विधायक महेंद्र चौधरी शक्तिशाली हो गए। इस बात मे कोई शक नहीं है कि महेंद्र चौधरी ने नांवा विधानसभा में विकास की गंगा बहा दी।और कुचामन को हर क्षेत्र में डीडवाना के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। क्योंकि इससे पहले कुचामन मात्र उप तहसील का दर्जा रखता था।
ऐसे में सरकार के सामने धर्मसंकट खड़ा हो गया कि जिला किसको बनाया जाए तो बीच का रास्ता निकालते हुए डीडवाना कुचामन को संयुक्त रूप से जिला घोषित किया गया।लेकिन फिर नांवा विधानसभा की जनता नाराज ऐसे मे गहलोत सरकार ने अपने अंतिम समय में कुचामन को स्वतंत्र जिला बना दिया। लेकिन फिर समय की मार पड़ी और जब तक अधिसूचना जारी हो पाती आचार संहिता लग चुकी थी और कुचामन फिर जिला बनने से वंचित रह गया।
जब भजनलाल सरकार आई तो कई नए जिले को रद्द कर दिया गया उनमें से कुचामन भी एक था मतलब कुचामन फिर डीडवाना कुचामन जिला रह गया। लेकिन फिर भी एक लॉलीपॉप कुचामन को हमेशा दिया जाता रहा कि जिला मुख्यालय कुचामन को ही बनाया जाएगा। और जनता इसी आस में इंतजार करती रह गई और आज संसदीय कार्यक्रम मंत्री जोगाराम पटेल ने साफ-साफ घोषणा कर दी।
अब उन कारणों पर गौर कर लिया जाए कि कुचामन की जनता के साथ आखिर यह कुठाराघात हुआ क्यों।
पहला कारण है स्थानीय विधायक व राजस्व मंत्री की उदासीनता दोस्तों अभी कुछ ही दिनों पहले राजस्थान पत्रिका में एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था जिसमें नागौर जिले के सभी विधायकों द्वारा 1 वर्ष में विधायक कोटे की राशि के खर्च विवरण दिया गया था। उसमें नांवा विधायक द्वारा शून्य राशि खर्च करने की बात लिखी गई थी। जबकि नांवा विधानसभा की जनता अपने विधायक को सरकार में शक्तिशाली मंत्री के रूप में देखती है।इससे पहले भी नांवा से महिला थाना जो की एक जिले में एक होना आवश्यक होता है। वह भी यहां से स्थानांतरित करके दूदू भेज दिया गया था।लेकिन हमारे विधायक विरोध तक प्रकट नहीं कर सके।आज भी जब संसदीय कार्य मंत्री घोषणा कर रहे थे तो हमारे विधायक द्वारा किसी भी तरह का विरोध प्रकट नहीं किया गया।अब जब प्रतिनिधि ही कुछ कर पाने में असमर्थ हो तो फिर आप खुद समझ सकते हैं………।
दूसरा कारण कमजोर आवाज में मांग : दोस्तों कुचामन की जनता की मांग हमेशा से ही कमजोर रही है कुचामन विकास समिति के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय बाल कृष्ण जी शारदा जब मांग करते थे तो बेहतरीन शब्दों में आवाज उठाते थे उन्होंने अपने प्रयासों से जिला स्तरीय नवोदय विद्यालय और डाईट जैसे जिला स्तरीय कार्यालय कुचामन में लाने मे कामयाब रहे। पूर्व विधायक स्व. हरीश कुमावत भी कोशिशो मे लगे रहे लेकिन उनकी कोशीशे उस समय पर्याप्त नहीं थी।साथ ही उसे समय जिले की इतनी आवश्यकता भी नहीं थी।
लेकिन उसके बाद यह बीड़ा संस्कृति जागरण समिति द्वारा उठाया गया और जिला बनाओ संघर्ष समिति बनाई गई।लेकिन यह समिति भी कांग्रेस के शासनकाल में ही ज्यादा सक्रिय दिखाई देती थी।जैसे ही भाजपा का शासन आता यह निष्क्रिय हो जाते थे। साथ ही ज्ञापन की राजनीति से आगे यह समिति कभी बढ़ ही नहीं पाई कभी भी ठोस प्रदर्शन इनके द्वारा नहीं किया गया और जिले की मांग कमजोर होती चली गई।
मतलब यह समिति इस मांग को एक जन आंदोलन में तब्दील नहीं कर पाई और कांग्रेस विरोधी समिति बनकर रह गई।जबकि डीडवाना में जिला बनाओ की मांग को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया था । आइये सुनते है जिला बनाओ समीति कि बात कि ये जिला बना के संबंध में क्या कहना चाहते हैं।
तीसरा एवं प्रमुख कारण कमजोर विपक्ष : कई मुद्दे इस तरह सामने आते हैं जिन पर विपक्ष को अपना विरोध दर्ज करवाना चाहिए।लेकिन कुचामन या नांवा विधानसभा का विपक्ष तो ऐसा है कि विरोध दर्ज करवाना तो दूर उस बात को जबान पर लाना भी उचित नहीं समझता। कई बार क्षेत्रीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय मुद्दे सामने आते हैं लेकिन विपक्ष अपनी उदासीनता के चलते अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में असमर्थ रहता है।
दोस्तों पिछले दिनों खून कि तस्करी का मामला आया था लेकिन यहां पर किसी ने भी उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। साथ ही विधानसभा में इंदिरा गांधी के लिए अप शब्द बोलने का मामला फिर भी यहां पर किसी ने उसके लिए जबान खोलना उचित नहीं समझा।नतीजा सत्ता पक्ष को विपक्ष का कोई डर नहीं रहता और वह अपनी मनमानी करने में कामयाब हो जाता है। यहां तक की पूर्व विधायक भी अपनी उपस्थिति जनहित के मुद्दों में कभी भी नहीं दिखाते हैं।ऐसे में कुचामन को जिला बनाना दूर की कोढ़ी की साबित होता है।
जाहिर सी बात है दोस्तों कांग्रेस ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है जानते है नगर अध्यक्ष सुतेंद्र सारस्वत क्या कहते है।
महेंद्र चौधरी मतलब विकास की गारंटी😊100%
आज महेंद्र चौधरी विधायक होते तो नावां कुचामन को यह निराशा हाथ नहीं लगती
एक निर्दलीय विधायक जिला मुख्यालय ले गया
और मंत्री जी सोते रह गए
जब डीडवाना जिला बनने के मापदंड पुरे कर रहा था जब कुचामन एक उप तहसील थी
लेकिन माननीय विकास पुरुष महेन्द्र जी चौधरी
के लगातार प्रयासों के बाद में कुचामन का उप तहसील से जिले तक का सफर आपके सामने है
जिनका एक सपना था कुचामन को जिला बनाना
पिछले कार्यकाल में इतने ऐतिहासिक विकास कार्य करवाए जो आजादी के बाद में नांवा कुचामन में पहली बार देखने को मिले
और जब डिडवाना-कुचामन जिला बना तब डीडवाना में स्थाई रूप से जिला मुख्यालय भी नहीं बनने दिया
और जनता की भावनाओं को समझते हुए फिर कुचामन को अलग से भी जिला बनाया
वर्तमान में राजस्थान सरकार में विधायक विजय सिंह जी का मंत्री होने के बावजूद कुचामन का विकास की दृष्टि में ऐसे पिछड़ना बहुत ही शर्मनाक बात है
आज नांवा कुचामन की जनता को निराशा हाथ लगी है
महेन्द्र चौधरी जिंदाबाद
आपणो नावां-कुचामन आपणो महेन्द्र चौधरी
नव नियुक्त प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्षा सारिका सिंह का कहना है।
“श्री विजय सिंह चौधरी को एक शक्तिशाली विभाग का मंत्री बने लगभग 14 माह बीत चुके है। इस समय मे इनके द्वारा विकास का कोई भी कार्य नहीं किया गया है इन्होने उन सभी योजनाओं के उदघाटन किये है जो कि पिछली सरकार द्वारा स्वीकृत किये गए थे। यदि ये चाहते तो किसी भी हालत मे जिला मुख्यालय कुचामन से छीना नहीं जा सकता था। लेकिन इनकी निष्क्रियता के चलते कुचामन कि जनता को यह नुकसान झेलना पड़ रहा है।”