Monday , 23 June 2025

चिकित्सालय स्थानांतरण : किसको होगा फायदा

 पिछले दिनों महिला एवं बाल चिकित्सा इकाई का शहर के बीच ही से शहर से 8 किलोमीटर दूर ले जाने का निर्णय लिया गया। और जैसे ही यह बात पब्लिक डोमेन में आई विरोध के स्वर उठने लगे। शहर के काफ़ी संगठनों ने इसका विरोध किया। चलिए आज इसी मुद्दे का बारीकी से विश्लेषण करते हैं। घटनाक्रम शुरू होता है लगभग तीन माह पहले जब मुख्य चिकित्सालय के नए भवन के निर्माण का निर्णय लिया गया और स्थानीय शाकंभरी रोड पर स्थित एक भूमि पर नींव रखी गई स्थानीय विधायक एवं राजस्व मंत्री श्री विजय सिंह चौधरी द्वारा। पूरा शहर इस बार से खुश हुआ लगा कि विकास की दिशा में एक और पायदान हमारा कुचामन चढ रहा है।

              लगभग 15 दिन पहले महिला बाल चिकित्सालय इकाई हेतु स्थानीय कुचामन वेली में लगभग साढ़े अठारह बीघा जमीन फिर से चिन्हित की गई और इसका पूर्ण विरोध स्थानीय संगठनों द्वारा किया गया विरोध के मुख्य कारण जो बताए गए थे पहले कारण –

1. शहर से लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी।

2. लवणीय व डूब क्षेत्र।

3. भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने की कोशिश।

4.. शहर के डूबते व्यापार के ताबूत में अंतिम कील।

5. आम आदमी की पहुंच से बाहर।

6. हाईवे पर लगभग 4 किलोमीटर।

 आदि कारण गिनाए गए,वहीं प्रशासन की तरफ से इस निर्णय के पक्ष में जो कारण गिराए गए वह मुख्यतः है 1.शहर का विस्तार।

2. देरी से बजट का लैप्स हो जाना।

3. जगह की उपलब्धता के कारण भविष्य में चिकित्सालय विस्तार की संभावनाएं।

            अब दोस्तों दोनों का यहां पर विश्लेषण किया जाए तीन माह पूर्व जो मुख्य चिकित्सालय का मुहूर्त हुआ था उसकी दूरी भी शहर से काफ़ी थी 8 किलोमीटर नहीं तो कम से कम 6 किलोमीटर तो थी ही। उस समय इस दूरी का प्रश्न क्यों नहीं उठा। दूसरा कारण जिस क्षेत्र में कुचामन वैली स्थित है ठीक उसी क्षेत्र में शाकंभरी मंदिर क्षेत्र भी है वहां भी लवणीय व डूब क्षेत्र है। इसी तरह भूमाफिया वाला बिंदु भी यहां पर उसी प्रकार खरा उतरता है। वहां भी जमीन के व्यापारी और यहां भी और यहाँ भी जमीन के व्यापारी।

            शहर के व्यापार के ताबूत में अंतिम कील विरोध करने वालों के द्वारा एक बात मुख्यत : यह भी कहीं जा रही है कि शहर के व्यापार को डी मार्ट और रिलायंस जिओ मार्ट ने पहले ही काफी नुकसान पहुंचा दिया है यदि चिकित्सालय यहां से बाहर चला जाएगा तो शहर का व्यापार लगभग खत्म हो जाएगा। तो मुख्य चिकित्सालय के साथ यह बिंदु भी खरा उतरता है। 

आम आदमी की पहुंच से बाहर अब क्योंकि शाकम्बरी रोड की दूरी भी लगभग उतनी ही है साथ ही सुनसान सड़क भी है। तो शाकंभरी की रोड के बीच में कोई ज्यादा लंबा चौड़ा फर्क पड़ने वाला नहीं है।

               हाईवे पर लगभग 4  किलोमीटर दोस्तों उतनी दूध जितनी दूरी कुचामन वेली के लिए हाईवे पर चलना पड़ता है। उससे आधी दूरी शाकम्बरी के लिए भी चलना पड़ता है। तो हाईवे वाला बिंदु भी यहां पर  बिल्कुल मेल खाता है। मतलब सभी कारण विरोध के लिए गिनाए गए है उनका कोई मतलब नहीं रह जाता है। तो दोस्तों जब मुख्य चिकित्सालय की नींव रखी जा रही थी तब विरोध क्यों नहीं किया गया आज अचानक विरोध क्यों। 

              बहरहाल अब बात की जाए प्रशासन की तो दोस्तों देखा जाए तो जहां वर्तमान चिकित्सालय है वहां सभी प्रकार की इकाइयों के लिए पर्याप्त स्थान है उपलब्ध है। यह बात कोई भी कह सकता है। और यदि नहीं भी है तो पीछे क़ृषि विभाग विस्तार का कार्यालय काम में लिया  जा सकता है। और इस कार्यालय को कृषि मंडी की जमीन जो की काफी मात्रा में उपलब्ध है वहां पर स्थानांतरित किया जा सकता है। या दूसरी मंजिल चिकित्सालय में बनाई जा सकती है।

              अब क्योंकि राजस्थान के मुख्य चिकित्सालय चाहे जयपुर का एसएमएस हो चाहे जोधपुर,अजमेर, उदयपुर, कोटा आदि के अस्पताल हो सभी जगह दो से ज्यादा मंजिलों पर चिकित्सालय स्थित है। तो दोस्तों वर्तमान चिकित्सालय जहां पर स्थित है वहां पर स्थान की कोई कमी नहीं है। उसके साथ ही यदि उचित योजना के साथ वर्तमान चिकित्सालय को दिशा दी जाए तो यातायात व्यवस्था की समस्या भी नियंत्रण में आ सकती है। ऐसे में चिकित्सालय  स्थानांतरण का फैसला मूर्खतापूर्ण दिखाई देता है। 

                एक बात और कुचामन के नए बस स्टैंड से रिंग रोड पर हजारों बीघा जमीन उपलब्ध है जिसे नगर परिषद की लापरवाही के कारण डंपिंग यार्ड में तब्दील कर दिया गया है और वहां पर गोवंश पूरे दिन प्लास्टिक आदि खाता रहता है बीमार होता रहता है। और मृत्यु को प्राप्त होता रहता है जबकि वहीं पर पिछली सरकार द्वारा कचरे का ट्रीटमेंट प्लांट भी करोड़ों के बजट से बनाया गया था। साथ ही कचरा निस्तारण के लिए वहां पर काफी मशीने भी लगाई गई थी। लेकिन नगर परिषद की लापरवाही वहां पर आज तक कचरा निस्तारण की कोई कार्रवाई जैसी गतिविधियां दिखाई नहीं दी। 

             बल्कि उनके आसपास की हजारों बीघा जमीन को ही डंपिंग यार्ड में तब्दील कर दिया गया। जबकि यहां पर जिला स्तरीय सभी कार्यालय के लिए पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। कुचामन वेली या शाकंभरी मंदिर रोड जितनी दूर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब इतनी जमीन उपलब्ध होने के बावजूद इतनी दूरी पर चिकित्सालय स्थानांतरण होना किसी के निजी स्वार्थ को साफ तौर पर दर्शाता है अब वह स्वार्थ किसका है यह क्विक न्यूज़ के दर्शक  स्वयं सोचे।

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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