दोस्तों पिछले दिनों एक खबर आई थी कि एन एच आई ए के एक अधिकारी दो करोड रुपए के साथ 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए यह जो अधिकारी थे यह गडकरी साहब के बेहद करीबी थे गडकरी साहब के शहर से ही आते हैं, भोपाल के एक बिल्डर और उक्त अधिकारी के बीच की सांठ गांठ उजागर भी हुई थी।
दोस्तों बीजेपी सरकार के जिस मंत्रालय का यह घोटाला है उसे मंत्रालय के बारे में बीजेपी सरकार और कार्यकर्ता ढोल पीटते हुए नजर आते हैं कि यदि कहीं विकास हुआ है तो सड़क एवं परिवहन मंत्रालय में ही हुआ है और काफी हद तक यह बात सही भी है।
लेकिन बात यह नहीं है मुद्दा यह है कि चुनाव के ठीक पहले किसी मंत्रालय का कोई अधिकारी जो कि मंत्री के गृह नगर से में ही पला बड़ा है यदि उसका नाम किसी घोटाले में आता है और विपक्ष चुपचाप रहता है, मेरे ख्याल से यदि और कोई नेता होता है या और कोई विभाग होता है अध्यक्ष होता मंत्री होता तो अभी तक विपक्ष ने भोकाल मचा दिया होता सुप्रिया श्री नेट ने प्रेस कांफ्रेंस करके गर्दा उड़ा दिया होता। लेकिन अभी विपक्ष चुप चाप बैठा है और सभी मुद्दों पर विपक्ष मुखर होकर बोलता है लेकिन इस मुद्दे पर बिल्कुल चुप,आखिर राज क्या है।
बता दे कि उक्त अधिकारी क्वालिटी कंट्रोल का काम करता था,मतलब बिल पास होने से पहले वह चेक करता था किसी भी प्रोजेक्ट में की सड़क सही बनी है या नहीं काम सही हुआ है या नहीं आपने देखा या सुना कि किसी विपक्ष के नेता ने इस मामले में कहीं पर भी एक शब्द भी बोला हो कुछ समय पहले 24 अगस्त 2023 को एक और घोटाला पकड़ा गया था। इसी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत यानी 18 करोड़ प्रति किलोमीटर में जो सड़क बननी चाहिए वहीं सड़क ढाई सौ करोड रुपए प्रति किलोमीटर मे बनी है।उस वक्त कांग्रेस ने बहुत हमले किए थे पूरा विपक्ष मोदी के ऊपर टूट पड़ा था।
तो अब ऐसा क्या हो गया जो विपक्ष चुं तक नहीं कर रहा उल्टे गडकरी जी की तरफ से बैटिंग कर रहा है दोस्तों मेरे एक मित्र ने तर्क देते हुए कहा था कि सीबीआई मोदी जी के अंडर में आती है और यह पुराना मामला cag द्वारा खोला गया था तो भाई cag का रिकॉर्ड भी सुन लीजिए दोस्तों जो cag( कंट्रोलर ऑफ एडिटर) मुर्मू है,वह मोदी जी के बेहद करीबी अधिकारी है। बहुत पुराना लगभग 2001 से इनका इतिहास है यह अधिकारी गुजरात केडर से आते हैं 2001 में जब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो यह उसे वक्त राहत आयुक्त थे,। बहुत जल्दी माइन मिनरल और गुजरात मेरीटाइन बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिए गए, इनका करियर बहुत तेजी से आगे बढ़ा जब ये अमित शाह के संपर्क में आए, 2004 में तो गुजरात होम डिपार्टमेंट के जॉइंट सेक्रेटरी बना दिए गए। मतलब पुलिस विभाग के 2002 के दंगों के टास्क को भी मुर्मू ने ही हैंडल किया था।
इन्हें जम्मू कश्मीर का लेफ्टिनेंट गवर्नर भी बनाया गया यानि सतपाल मलिक से पहले यही थे जम्मू कश्मीर में।
इन्हीं को cag यानी कंट्रोलर ऑफ एडिटर जनरल बनाया गया था दोस्तों मुर्मू साहब जो कि मोदी जी के बेहद करीबी है उनकी तरफ से जब गडकरी के विभाग पर हमला हुआ था तब पूरा विपक्ष एक साथ एकजुट हो गया था।
और आज जब सीबीआई द्वारा यह कार्यवाही की गई है तो पूरा विपक्ष चुप है और वह भी चुनाव से एन पहले तो दोस्तों यह सारी घटनाएं कुछ इशारा करती है।
दोस्तों क्विक न्यूज़ सिर्फ तथ्यों के आधार पर बात करता है अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कहता है।
अब दोस्तों गडकरी साहब के खुद के व्यक्तित्व की बात की जाए तो हम सभी देखते हैं कि यह मुखर वक्ता है,आज जहां बीजेपी के सभी नेता डरे डरे, सहमे सहमे से दिखाई देते हैं,गडकरी वही खुलकर बोलते हैं पिछले कुछ वीडियो में उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ खुलकर बयान दिए हैं आप सभी जानते हैं।
साथ ही गडकरी साहब विपक्ष की सभी पार्टियों को भी खुश करके रखते हैं मतलब किसी से भी गडकरी साहब की दुश्मनी नहीं है लेकिन भारतीय जनता पार्टी में गडकरी को किस तरह से साइड लाइन कर रखा है। सभी जानते है,पहले संसदीय बोर्ड में गडकरी साहब को नहीं रखा गया और फिर अभी तक गडकरी साहब को टिकट भी फाइनल नहीं की गई है।अभी पिछले दिनों जब सीट शेयरिंग के लिए अमित शाह जब महाराष्ट्र गए थे तो वहां पर भी गडकरी साहब को नहीं बुलाया गया था।
लेकिन गढ़करी साहब की तरफ से एक पार्टी बैटिंग कर रही है और वह है इंडिया गठबंधन, संजय राउत जो कि उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी है कहते है कि बीजेपी जो आज विकास का ढोल पीट रही है वह विकास गडकरी जी का ही किया हुआ है।यह आप वीडियो में देख सकते हैं यहां तक उद्धव ठाकरे का यह बयान भी आप देखिए उद्धव कह रहे हैं कि गडकरी को टिकट न देना गलत है।
अब इंडिया गठबंधन के साथ यह नजदीकियां कुछ कहती है,आप सोचिए क्या आपको नहीं लगता कि गडकरी इंडिया गठबंधन की अगली रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं,क्या आपको नहीं लगता कि जब तक आचार संहिता नहीं लगती गडकरी तभी तक चुप बैठे हैं।
दूसरी तरफ कोई बहुत पुरानी बात नहीं है कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अपॉइंटमेंट मीटिंग की जो मीटिंग की गई थी जो बैठक होती है उसमें गढ़करी के खास अधिकारी को जिम्मेदारी देने से मना कर दिया गया था, और उनके कार्यकाल बढ़ाने का जो प्रस्ताव था उसको भी खारिज कर दिया गया था, महावीर सिंह मेंबर ऑफ प्रोजेक्ट और मनोज कुमार मेंबर आफ टेक्निकल थे उसे समय।
वैसे दोस्तों चुनाव आयोग कैसे काम करता है यह किसी से छिपा नहीं है अभी दो दिन पहले ही चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को चेतावनी दी कि आप सोच समझ कर बोले अपने बयान सोच समझ कर दे अरे भाई जब तक आचार संहिता नहीं लग जाती तब तक आपको किसी भी मामले में बोलने का अधिकार नहीं है अभी आप हैं कौन।
वर्तमान में गडकरी साहब भी दोनों हाथों से सभी पार्टियों को थामे हुए हिमाचल प्रदेश मे कोई प्रोजेक्ट गढ़करी तैयार बंगाल में लाना हो गडकरी तैयार। शिवसेना के नेता विनायक रावत ने तो खुलेआम यह बयान दे दिया है कि आ जाइए आप इंडिया गठबंधन में आपको प्रधानमंत्री के रूप में पेश कर दिया जाएगा।
फिर मेरे मित्र ने तर्क दिया कि गडकरी जी का बैकग्राउंड RSS का है यह नहीं हो सकता वह कांग्रेस में नहीं आ सकते या इंडिया गठबंधन मे नहीं आ सकते। तो दोस्तों बैकग्राउंड से कुछ नहीं होता शिवसेना जो कि पहले कट्टर हिंदुत्व का चेहरा लेकर चलती थी वह आज कांग्रेस के साथ लगी हुई है पूरी जिंदगी सेकुलर रहने वाले माधव राज सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया आज बीजेपी में है। तो दोस्तों यह सब राजनीति में चलता है किसी जमाने में तो RSS के नेता कांग्रेस में ही हुआ करते थे, भारत के पहले राष्ट्रपति भी आरएसएस वाले ही थे।ये सारी बाते इशारा कर रही है की नज़दीकिया बढ़ रही है।
दोस्तों क्विक न्यूज़ इस बात का दावा नहीं करता है,समर्थन नहीं करता है,क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में लग रहा था कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी छोड़ देगी लेकिन रातों-रात उन्हें मना लिया गया ऐसे मे कुछ भी हो सकता है। हो सकता है की गडकरी साहब को भी मना लिया जाए।
मनोज भारद्वाज को दीजिए इजाजत,नमस्कार।