Wednesday , 26 March 2025

आनंद बक्शी :एक नायाब गीतकार (पूण्य तिथि विशेष )

30 मार्च 2002 (पुण्यतिथि)

भारतीय फ़िल्म जगत के एक बेहतरीन गीतकार और गायक

आनंद बक्षी साहब का जन्म 21st जुलाई 1930 को रावलपिंडी (अब पाकिस्तान का एक सूबा)में एक पंजाबी परिवार में हुआ था, आपको बचपन में ही फ़ौज में जाने का मन बना लिया और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आपने कुछ वर्ष भारतीय फ़ौज में नौकरी की थी..!

वही से आपको शेर ओ शायरी का शोक पैदा हुआ और नौकरी छोड़कर 1956 में चले आए सिने नगरी मुंबई काफ़ी मशक्कत के बाद 1958 में भगवान दादा की एक फ़िल्म ‘भला मानुष’ में आपको गीत लिखने का मौका मिला, लेकिन जूनून ऐसा था कि बस कुछ करना है और इसी जूनून के तहत मेहनत करते रहे..!

फिर आया साल 1964 इस वर्ष मनोज कुमार कि एक फ़िल्म ‘हिमालय की गौद में’ संगीतकार ‘कल्याणजी-आनंदजी’ ने आपको मौका दिया कुछ गीत लिखने का और इस फ़िल्म में ‘बक्षी साहब’ ने दो गीत लिखें ‘चाँद सी मेहबूबा हो मेरी..’ और ‘मैं तो एक ख़्वाब हूं..’ दोनों ही गीत काफ़ी प्रचलित हुए उसी दरम्यान आपकी मुलाक़ात हुई संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से जो उसी समय फ़िल्म ‘Mr. X. In Bombay’ का संगीत तैयार कर रहे थे, और ‘बक्षी साहब’ ने उनके लिए अपना पहला गीत लिखा मेरे मेहबूब क़यामत होगी.. जिसे ‘किशोर दा’ ने अपनी आवाज़ दी थी..!

ये इन चारो का पहला गीत साथ में था जो काफ़ी Poular हुआ और आज भी हर संगीत प्रेमी का पसंदीदा गीत है..!

फिर आई साल 1965 में ही फ़िल्म जब जब फूल खिले जिसके संगीतकार थे ‘कल्याणजी-आनंदजी’ इस फ़िल्म के सभी गीत ‘बक्षी साहब’ ने ही लिखें थे जो निहायत खूबसूरत और हर संगीत प्रेमी के सिर चढ़कर बोल उठे..

मसलन..

*परदेसीयों से ना अंखिया मिलाना..
*ये समा.. समा है ये प्यार का..
*एक था गुल और एक थी बुलबुल..
*यहाँ मैं अजनबी हूं..

इस फ़िल्म के बाद फिर साथ हुआ लक्ष्मी-प्यारे का 1967 में प्रदर्शित फ़िल्म मिलन से और जो माधुर्य इन्होने रचा उसका क्या कहना..

# सावन का महीना.. पवन करें सोर..
# बोल गौरी बोल तेरा कौन पिया..
# आज दिल पर कोई ज़ोर चलता नहीं..
# राम करें ऐसा हो जाए..
# हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के..

इस संगीतकार जोड़ी (लक्ष्मी-प्यारे) के साथ ‘बक्षी साहब’ ने कुल 306 फिल्मों के लिए 1680 गीत लिखें जो कि एक इतिहास है..!

राजेश खन्ना की पहली Super Hit फ़िल्म आराधना के लिए भी इन्होने की गीत लिखें थे जिन्हे संगीत में ढाला था ‘सचिन देव बर्मन’ ने..!

आपके लिखें गीतों की कुछ खास फ़िल्में थी..

# आए दिन बहार के
# दो रास्ते
# जीने की राह
# मेहबूब की मेहंदी
# आप आए बहार आई
# मेरा गांव मेरा देस
# अमर प्रेम
# रोटी
# अमीर गरीब
# धर्म-वीर
# अमर अकबर अन्थोनी
# सुहाग
# आशा
# एक दूजे के लिए
# अर्पण
# अपना पन
# अवतार
# मेरी जंग
# हीरो
# कर्मा
# नाम
# अलग अलग
# राम लखन
# नगीना
# खलनायक
# ग़दर
# प्रेम ग्रन्थ
# दिल तो पागल है
# मोहब्बतें
Etc.

37 बार आपको Filfare Award के लिए Nominate किया गया था जिसमें आपको चार बार इस Award से नवाजा गया..!!

आनंद बक्षी ने कुल 638 फिल्मों के अंदर 4000 से ऊपर गीत लिखें जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है..!

आपके गाए गीतों को..

# लता मंगेशकर
# मौहम्मद रफ़ी
# किशोर कुमार
# मुकेश
# तलत मेहमूद
# राहुल देव बर्मन
# खुद ‘बक्षी साहब’
# आशा भोसले
# मन्ना डे
# महेंद्र कपूर
# भूपेंद्र सिंह
# शैलेन्द्र सिंह
# अनवर
# शब्बीर कुमार
# अमित कुमार
# मौहम्मद अज़ीज़
# कुमार सानू
# विनोद राठौड़
# कविता कृष्णामूर्ति
# अलका याग्निक
# उदित नारायण
# सोनू निगम
# पंकज उधास
# सुखविंद्र
# इला अरुण
# लक्ष्मीकांत (प्यारेलाल)
# बप्पी लहरी
# दिलीप कुमार
# अमिताभ बच्चन
# शशि कपूर
# अरुणा ईरानी
# मेहमूद

जैसे अनगिनत ‘गायको’ ने अपनी आवाज़ दी थी..!!

ऐसे महान ‘गीतकार’ को कोटि कोटि ‘नमन’

लेखक :-युसूफ भाटी (कुचामन सिटी )

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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