दीया जलता रहा मौन होकर एक दीया जलता रहा राह पथरीली रही हर कदम पर, वो मगर आगे बढ़ा अपने दम पर। नित हौसलों से मात दे अंधेरों को, जीत का था शंखनाद हर सितम पर। ख्वाब मन में फिर भी मचलता रहा मौन होकर एक दीया जलता रहा। उसने हँस कर सह ली हर यातनाएँ, बांध ली जंजीर और …
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