दोस्तों सरकारी संपत्ति को किस तरह से दुरुपयोग करके उसे कमाई का जरिया बनाया जा सकता है इसका एक ताजा उदाहरण आज कुचामन सिटी में देखने को मिला। दोस्तों दरअसल स्टेशन रोड पर पंचायत समिति कुचामन सिटी द्वारा अपनी आय बढ़ाने के लिए कुछ दुकानों का निर्माण अपने परिसर में करवा रखा है।इन दुकानों से पंचायत समिति को अच्छी खासी आय भी हो जाती है।
तो दोस्तों इन्ही दुकानों में से एक दुकान जो की दुकान थी भी नहीं वहां पर दुकान का निर्माण करवा कर उसे लगभग 5 साल तक किराए पर चढ़ा दिया गया जिसका कहीं भी कोई लेखा-जोखा नहीं है।
दोस्तों आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता चतुर्भुज शर्मा ने इस बात का खुलासा करते हुए बताया कि पंचायत समिति कार्यालय परिसर में बनी दुकानों के बीच खाली जगह छोड़ी गई थी ताकि भविष्य में दुकानों के ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनाई जा सके।अब रसूखदारों ने( इनमें से एक पंचायत समिति कार्यालय का कर्मचारी भी है) उस खाली जमीन पर एक छोटी दुकान बनवाकर उसे किराए पर दे दिया, किराएदार ने उसे दुकान पर में लगभग 5 वर्षों तक चाय की दुकान भी चलाई और दुकान चली भी, दुकान का चलना लाजमी भी है दोस्तों क्योंकि दुकान के बिल्कुल सामने पुलिस थाना कुचामन सिटी है और आसपास लगभग 50 दुकाने जो की पंचायत समिति द्वारा निर्मित है,वह चल रही है सामने कई बैंक संचालित है और होंडा की एजेंसी भी है।
दोस्तों इन सब बातो को देखते हुए इस दुकान को अच्छी चांदी की टकसाल समझ कर दबंगों ने इस पर मन चला लिया। अब दोस्तों किसी को इस संबंध में कोई खबर नहीं,यदि किसी ने इस संबंध में मालूम करने की कोशिश की तो तुरंत दुकान को खाली करवा लिया गया।
दुकान पर लगे पर्दे जो की छाया के लिए लगाए जाते हैं उन्हें उतरवा लिया गया जैसे यहां पर कुछ हुआ ही नहीं था।चतुर्भुज शर्मा ने इस संबंध में काफी कोशिशे की, श्री शर्मा कहते हैं उन्होंने विकास अधिकारी,व लोक जन सूचना अधिकारी को डाक के माध्यम से सूचित किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
फिर उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 76 के तहत भी सवालों के जवाब व प्रमाणित प्रतिलिपियां मांगी लेकिन जवाब नहीं मिला।
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगी गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
विकास अधिकारी पंचायत समिति को शिकायत की गई कोई जवाब नहीं मिला।
जिला कलेक्टर डीडवाना को शिकायत की गई कोई जवाब नहीं मिला।
संभागीय आयुक्त अजमेर को शिकायत की गई कोई जवाब नहीं मिला।
उपखंड अधिकारी कुचामन को शिकायत की गई कोई जवाब नहीं मिला।
सभी उच्च अधिकारियों को दोबारा भी निवेदन किया गया कोई जवाब नहीं मिला।
सभी पत्रों की फोटो प्रतिलिपि और डाक के माध्यम से लौट कर आई ऐ डी प्रमाणित करती है कि डाक पहुंच चुकी है।
आरटीआई एक्टिविस्ट चतुर्भुज शर्मा के अनुसार यह सवाल है जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला है।और जवाब प्रतीक्षा में है चतुर्भुज शर्मा कहते हैं,
1-कि यह दुकान किसके आदेश से बनी।
2-दुकान निर्माण की तारीख क्या थी।
3-निर्माण खर्च किसने करवाया था।
4-कितने दिन निर्माण चला।
5- निर्माण लागत क्या आई।
6-निर्माण कार्य खत्म होने की तारीख क्या थी।
7-दुकान किराए पर दी दुकान का किरायानामा कहां है।
8- किराए पर देने की तारीख क्या थी।
9- दुकान कितने वर्ष किराए पर चली।
10-दुकान का किराया क्या था।
11- दुकान किराए की रसीद कहां है।
12- दुकान किसके आदेश से खाली हुई दुकान खाली होने की तारीख क्या थी।
13-दुकान खाली करवाने का क्या कारण था।
14-दुकान सरकारी रिकॉर्ड में चढाई हुई है अथवा नहीं।
15-दुकान सरकारी रिकॉर्ड में किसके नाम है।
16-दुकान पिछले लगभग 5 वर्षों का किराया सरकारी खजाने में जमा है अथवा नहीं।
यह सभी जानकारियां उच्च अधिकारी को ध्यान में है। यह राज आज भी राज है। दोस्तों श्री शर्मा कहते हैं कि पंचायत समिति कार्यालय में जब भी इस तरह की कोई शिकायत हुई तो उनकी प्रतिक्रिया इस तरह से हुई।
– आसपास के व्यापारियों को दुकान खाली करवाने की धमकी दी गई।
-धमकी के माध्यम से खाली पेपरो पर हस्ताक्षर करवा लिए गए।
– आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई,यह किसके आदेश से या किसके आदेश को छुपा कर किया जा रहा है। यह सभी सवाल जवाब के इंतजार में है ऐसा क्या है जो सब चुप्पी साधे हैं।जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री दावा करते हैं भ्रष्टाचार मुक्त राजस्थान का और होना भी चाहिए।
वास्तविकता की जांच होकर गबन कर्ता,गुनहगार, भ्रष्टाचारी कर्मचारियों पर ठोस और सख्त कार्रवाई करते हुए।पुलिस में मुकदमा करवाया जाना चाहिए। और विभागीय निलंबन होना चाहिए ताकि भविष्य में और विभाग के कर्मचारी भ्रष्ट कदम उठाने पर अपने आप को भयभीत महसूस करें।
दोस्तों जब सारी कोशिश से असफल हो गई तो चतुर्भुज शर्मा ने अंत में राष्ट्रपति,राज्यपाल, संभाजी आयुक्त, जिला कलेक्टर आदि को प्रार्थना पत्र दिया तथा प्रेस के माध्यम से इस सूचना को सार्वजनिक किया।
सवाल कुचामन की जनता से भी है कि कब तक दबंग सरकारी संपत्तियों को चूना लगाकर अपनी कमाई करते रहेंगे। और अधिकारी किस वजह से इन दबंगों को साथ देते हैं।जबकि सभी अधिकारियों को उक्त घटनाक्रम से अवगत करवा दिया गया है।