नमस्कार भाई लोगा आप सभी रो आज का विशेष कार्यक्रम में स्वागत है सा। दोस्तों 30 मार्च 1949 ने जयपुर में एक समारोह में वृहद राजस्थान रो उदघाटन सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा करियो गयों हो,यानी आज आपणो राजस्थान पूरा 75 बसंत देख चुक्यो है सा। आज रो दिन आपा राजस्थान दिवस का रूप में मनांवा सा ।
आजादी रा समय राजस्थान में 22 रियासता ही ज्याम सु 19 पर राजाओं को शासन हो और तीन रियासत ( नीमराना, लव और कुशलगढ़ )में सरदारिया ही,और अजमेर मेरवाड़ा प्रांत पर ब्रिटिश शासका रो शासन हो।
रियासता के विलय की प्रक्रिया 18 मार्च 1948 सु लेर 1 नवंबर 1956 तक सात चरना में पूरी करी गई। 1 नवंबर 1956 ने भारत सरकार ब्रिटिश शासित अजमेर मेरवाड़ा प्रांत को राजस्थान में विलय कर दिए गए हो।
आज आपा राजस्थान दिवस मना रिया हाँ।कुचामन पुस्तकालय का वाचना लय मे शनिवार ने एक सामूहिक वार्ता को आयोजन राख्यो गयो, कार्यक्रम संयोजक रेखा कड़वा द्वारा राजस्थानी भाषा ने मान्यता दिलावण री बात जोर देर केई ।
राजस्थानी भाषा में मान्यता दिलावण की बात एक राजस्थानी युवा हुआ के खातिर हर संभव प्रयास करवा की बात कही गई। स्टूडेंट कॉर्नर का छात्र-छात्रा गीता कांसोटिया,शारदा,प्रियंका, मोनिका,ज्योति,ज्योति शर्मा, मोनिका कुमावत,विजय लक्ष्मी,मोनिका,सुनील,धर्मेंद्र, गुलशन, दिनेश, प्रवीण,नवीन,राकेश,विकास, संध्या मौजूद हाँ,कार्यक्रम री व्यवस्था कुलदीप और किरण कांसोटिया सम्हाली,राजस्थानी मायड़ भाषा ने मान्यता दिलावण खातर विरोध को प्रदर्शन मुंडा पर काळी पट्टी बांध करयो ग्यो।और “राजस्थानी मांगे राजभाषा “रो नारो भी बुलंद कर्यो ।
दूसरी तरफ संस्कृति जागरण समिति का अध्यक्ष और समाज सेवक श्री मोहन जी सोनी मायड़ भाषा मे आपरी बात रखी। ध्यान रेवे मोहन जी पिछला कई वर्ष सु राजस्थानी (मायड भाषा )ने मान्यता दिलावण खातर संघर्ष रत है।और हस्ताक्षर अभियान का माध्यम से अपनी बात बुलंद करता आया है आओ सुणा मोहन जी आपकी बात काई शब्दा में केरिया है।