ना फनकार तुझसा तेरे बाद आया..
मोहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया..
सुरों के सरताज़ मौहम्मद रफ़ी साहब का कल 100वां जन्मदिवस था..!
वैसे तो रफ़ी साहब के बारे में जितना लिखा जाए, कम होगा लेकिन गायकी को जिस मुकाम तक रफ़ी साहब लेकर गए वो अपने आप में अद्भुत है।
1944 से फ़िल्म गुल बलोच से शुरू हुआ ये कारवाँ 1980 में प्रदर्शित फ़िल्म आस-पास पर जाकर रुका..!
इन 36 सालों में रफ़ी साहब ने लगभग हर भाषा में 26000 से भी ऊपर गीतों में अपनी आवाज़ दी..!
60 से 80s तक के हर बड़े से बड़े अभिनेता..
दिलीप कुमार
शम्मी कपूर
देव आनंद
राजेंद्र कुमार
धर्मेंद्र
प्रदीप कुमार
भारत भूषण
राजेश खन्ना
जीतेन्द्र
जॉय मुखर्जी
विश्वजीत
अमिताभ बच्चन
जॉनी वाकर
मेहमूद
ETC.
लगभग सभी अभिनेताओं के लिए रफ़ी साहब ने पार्श्व गायन किया..!
6 filmfare Award और पद्मश्री से सम्मानित इस अनमोल गायक ने..
गीत
क़व्वाली
ग़ज़ल
दर्द भरे नगमे
रोमांटिक गीत
हर फन में अपनी आवाज़ का जादू बखेरा..!
उनके 44 साल पहले इस फ़ानी दुनिया से कूच करने के बाद भी उनके गाए नगमे लोगो के दिलों ओ दिमाग पर छाए हुए है..!
ऐसे अजीमों ओ शान फनकार को कल 24 दिसम्बर 2024 को उनके 100वें जन्मदिवस पर उनके चाहने वालो ने कुचामन सिटी के भारतीय संगीत सदन में एक संगीतमय शाम का आयोजन करके उनको स्वरांजलि अर्पित की जिसमें..
असलम खरादी
यूसुफ़ भाटी
मनोज भारद्वाज
निकुंत वर्मा
मुकेश राजपुरोहित
राजू वर्मा
आशिष बोयात
कविता
आदि ने अपनी आवाज़ में नगमे सुनाकर माहौल रफ़ीमय बना दिया था..!!
अपने अलहदा अंदाज में बेहतरीन शेरो शायरी के साथ अजमत मौलानी ने मंच संचालन किया और सभी को मंत्र मुग्ध सा कर दिया।
तो लीजिए दोस्तों सुनते हैं उन सभी कलाकारों की आवाज जिन्होंने आपकी आवाज देकर रफी साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की।कार्यक्रम की शुरुआत में दीपक प्रज्जवलित कर मां शारदे की वंदना की गई तथा मुकेश राजपुरोहित ने सरस्वती वंदना पेश की।
कार्यक्रम का आगाज युवा कलाकार आशीष बोयात ने अपने बेहतरीन अंदाज में दर्द दिल दर्दे जिगर का कर की,वही संगीत सदन के नव प्रशिक्षण में भी अपनी तरफ से गीत, भजन,गजल आदि सुना कर तालियां बटोरी।
राजकुमार वर्मा ने अपनी आवाज में जान जानी जनार्दन तारा रम पम पम पम पम गाकर दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया।मँझे हुए कलाकार और संगीत सदन के प्रशिक्षक असलम खरादी ने दीवाने हैं दीवानों को ना घर चाहिए नजर चाहिए गीत सुनाया जिसे सभी श्रोता झूम उठे।मशहूर कलाकार मुकेश राजपुरोहित ने लिखे जो खत तुझे लाकर खूब तालियां बटोरी।
वहीं अब बारी थी उसे कलाकार की जो गायन की हर विधा में अपना एक अलग अंदाज रखता है अपनी अलग छाप छोड़ता है यानी निकुंज जी, निकुंज जी ने तुम मुझे यूं भुला न पाओगे गीत सुनाया और सभी की तालिया बटोरी तो दोस्तों बहती गंगा देखकर हमारा मन भी हो गया एक गीत सुनने का तो हमने भी दोनों ने किया था प्यार मगर तुझे याद रहा मुझे याद रहा तू भूल गई गाया।
मोहम्मद यूसुफ कुचामन की संगीत की दुनिया में चमकता सितारा ने पेश किया नगमा इक ना एक दिन यह कहानी बनेगी और श्रोता फिर से झूम उठे। नवोदित कलाकार अभिनव दाधीच ने एहसान तेरा होगा मुझ पर गाकर सभी को भाव विभोर कर दिया।अंत में वरिष्ठ कलाकार भानु प्रकाश औदिच्य जो की संगीत सदन के व्यवस्थापक भी है बड़ी देर भाई नंदलाला सुना कर श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।