Wednesday , 19 March 2025

पंडित का दही बड़ा : स्वाद लाजवाब

पिछले दिनों अचानक सपरिवार जयपुर जाने का कार्यक्रम बन गया ,चार दिन का कार्यक्रम था तीसरे दिन दोपहर को चार पांच  घंटे फ्री थे मेने  पतिदेव से कहि  घुमने चलने को कहा  तो पतिदेव ने अपने बचपन के  दोस्त अनुराग भैया से मिलने की इच्छा जताई मेने  भी हामी भर दी  काफी समय  से दोनों दोस्त मिले नही थे सिर्फ मोबाइल पर ही बात चित कर पाते थे फिर क्या था मोड़ डी गाड़ी सचिवालय की तरफ (पति  के  मित्र सचिवालय में उच्च पद पर कार्यरत हे )स्वाभाविक रूप से अनुराग भैया काम में व्यस्त थे हमे देख कर भैया बहुत  खुश हुए l

थोड़ी देर बाद जब वे फ्री हुए तो हमारे लिए काफी मंगवाई गई और अपने चपरासी को कुछ लाने का आर्डर दे दिया और दोनों मित्र बाते करने लग गए थोड़ी देर बाद चपरासी तीन प्लास्टिक के डब्बो  में कुछ लेकर आया खोला तो देखा उनमे दहीबड़े थे चुकी मुझे दहीबड़े भाते नही हे फिर भी औपचारिकता वश मेने उन्हें चखा तो पाया बेहद ही लज़ीज़ दहीबड़े थे महिला होने के नाते इन दहिबड़ो  की रेसिपी मालूम करने की इच्छा हुई मेने चपरासी से पूछा तो बताया की सचिवालय क गेट नम्बर 5 के साने कोई पंडित जी का ठेला लगता हे जो की बहुत  ही फेमस हे राजस्थान के सभी वी आई पी वाही  से निकलते हे और पंडित जी के दही बड़े अवश्य खाते हे|

थोड़ी देर बाद हम लोग वह से निकल लिए और मेने पतिदेव से दही बड़ो के ठेले की तरफ जाने की इच्छा जताई ये मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिए और गेट नम्बर 5  की तरफ चल दिए देखा तो गेट के सामने ही कलकत्ता चाट भंडार क नाम से ठेला लगा हुआ था काफी भीड़ जमा थी वहां  कई मंत्रियो गाडिया वह रुकी हुई थी हमने कलकत्ता चाट भंडार  के मालिक पंडित रामजी लाल से बात चीत करने की सोची |

इस विशेष स्वाद के पीछे एक लम्बे संघर्ष की कहानी का पता लगा दौसा के पंडित जी ने दसवी पास ही की थी इनके पिता अपने पीछे बड़े कर्ज़ को छोड़ कर चल बसे जिम्मेदारी का बोझ पंडित के कंधो पर आ गया कर्ज मांगने वाले घर पर आने लगे और ताना मारने लगे कहते खी चपरासी ही बन जा ऐसे में परेशान होकर पंडित जी माँ से कह  कर थोड़े से पेसे लेकर  कलकत्ता की और निकल गए वह जाकर एक सेठ के यह नोकरी की किसी से चाट , दही बड़े और कांजी बड़े बनाने की रेसिपी सीखी कुछ दिनों में विवाह हो गया परिवार की मजबूरियों के कारण वापिस दौसा आना पड़ा |

फिर जयपुर में दही बड़े बेचने की सोच कर राजमंदिर के सामने एक टोकरी में दही बड़े बेचने लगे उस दहीबड़े का स्वाद लोगो की जुबान पर ऐसा चढ़ा की पंडित जी ने पीछे मुड कर नही देखा फिर सचिवालय के सामने अपना ठेला लगाने लगे  ठेले पर सिर्फ तीन ही आइटम मिलते हे दही बड़े ,कांजी बड़े और पनीर चीला  जब मेने इसकी रेसिपी पूछी तो  पंडित जी ने बताया की इसकी चटनिया 81 तरह के मसालों से बनती हे इसमें डलने वाले मसाले बाज़ार से नही घर में पीसे जाते हे इनमे ख़ास पंच मेल डाला जाता हे जो इसे और चाट से अलग बना ता हे घर में तैयार दही ,पिंड खजूर की  मीथी  चटनी  पुदीने की चटनी लाल मिर्च से तैयार लहसुन की चटनी और देसी चने की सब्जी इनके दही बड़े में मूंग की दाल के साथ ही अदरक , हरी मिर्च लॉन्ग इलायची सोंफ धनिया आदि मिला कर पीस लिए जाते हे आम तोर पर दही बड़े सिर्फ मूंग की दा ल पीस कर बनाए जाते हे मसले बाद में मिलाए जाते हे लेकिन यह पहले से ही सब मिल जाते हे साथ ही साइज़ में भी काफी बड़े और चपटे  होते हे पंडित जी के दही बड़े |

दही बड़े के अलावा पनीर चिला और कांजी बड़ा भी बनाते हे पंडित जी तीनो की कीमत प्रति नग 120 रूपये हे काफी दूर दूर तक प्रसिध्द हे पंडित जी के दही बड़े पूर्व उप राष्ट्रपति भेरो सिंह शेखावत क जन्म दिन पर हर वर्ष उनके घर पर बुलाया जाता था पंडित जी को जब वे राजस्थान के मुख्य मंत्री थे तभी से वे बहुत बड़े फेन थे पंडित जी के दही भल्लो के |

आमिर खान जब राजा हिंदुस्थानी की शूटिंग कर रहे थे तब पंडित जी को मुंबई बुलाया गया था चाट खाने के साथ साथ घंटो बतियाते थे पंडित जी से आमिर खान  वाही अभिषेक बच्चन की न्परती जब जयपुर में हुई तो पंडित जी को विशेष रूप से बुलाया गया वह सभी स्टार्स ने पंडित जी की चाट चखी , प्म्दित जी बताते हे की सोनम कपूर कोम्तो मेरी चाट इतनीं पसंद आई की वे अपने सभी साथी स्तार्स्व को मेरे स्टाल पर लेकर आई थी कहती थी इस चाट का कोई जवाब नही वाकी कोई जवाब नही पंडित जी की चाट का |

 

:-वंदना भारद्वाज

 

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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