Tuesday , 15 July 2025

नेहरु :दुनिया जानती हे …….

                           27 में 1994 को जवाहरलाल नेहरू की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी लेकिन गाहे बगाहे नेहरू को राष्ट्र याद करता ही रहता है वह नेहरू जिनके कार्यकाल मे आधुनिक भारत की नींव रखी गई जिनकी दूरदर्शिता, वैज्ञानिक सोच की वजह से इसरो,इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, आई आई टी,एम्स, योजना आयोग का गठन,विज्ञान प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहन,पंचवर्षीय योजनाएं,विश्वविद्यालय की स्थापना,उद्योग धंधों की शुरुआत, भाखड़ा नांगल बांध, रिहंद बांध बोकारो इस्पात कारखाना, विदेश नीति में पंचशील सिद्धांत, गुटनिरपेक्ष आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण कार्य हुए।

                     लेकिन पिछले 10 सालों में जितना नेहरू को याद किया गया उतना शायद किसी और को नहीं हर बार नेहरू को एक खलनायक की तरह पेश किया गया लेकिन कमाल देखिए नेहरू को जितना खलनायक बनने की कोशिश की की उतने ही नेहरू निखरते गए एक हीरो की तरह उभरते गए व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को छोड़ो उनको छोड़ दीजिए बाकी जिसे एक बार गुगल कर लिया वह असलियत जान गया।

15 अगस्त, 1959. लाल किले से पंडित नेहरू भाषण दे रहे हैं. भाषण की शुरुआत में ही वे कहते हैं कि हम पर मुसीबतें आईं. हमसे गलतियां हुईं. हमारी कमजोरियां सामने आईं. हमने मुकाबला किया. वे सामूहिक रूप से अपनी सरकार, अपने देश के प्रति आलोचनात्मक मगर प्रेरक रवैया अपनाते हैं. वे जनता को प्रेरित करते हैं कि हमें मेहनत करनी है और खुशहाल मुल्कों का मुकाबला करना है. वे कहते हैं कि देश की अपनी कोई दौलत नहीं होती. जो दौलत आप अपनी मेहनत से पैदा करते हैं, वही देश की दौलत है.

नेहरू एक ऐसे देश के प्रधानमंत्री बने जिसे अंग्रेजों ने दो सदी तक बेतहाशा लूटा था. खाने को अनाज नहीं था. तन ढंकने को कपड़ा नहीं था. अकाल पड़ा तो लाखों मरे. हैजा फैली तो लाखों मरे. डायरिया फैली तो लाखों मरे. नेहरू ने नारा दिया था- “आराम हराम है”. खूब मेहनत करो. दौलत पैदा करो. आप दौलतमंद होंगे तो देश दौलतमंद होगा.

नेहरू के लालकिले से दिए गए सारे भाषण यूट्यूब पर मौजूद हैं. कोई उनमें से दो लाइन लेकर गलत बातें फैला सकता है. आप उन्हें सुन डालिए. वे एक अभिभावक की तरह लोगों को प्रेरित करते हैं. उस समय महज 10 प्रतिशत लोग साक्षर थे, लेकिन वे एक सहयोगी की तरह जनता के सामने देश दुनिया के मसले रखते हैं और बार-बार कहते हैं कि हमें आज की दुनिया से कदम मिलाना है।

उनके शानदार भाषण भारतीय लोकतंत्र की धरोधरें हैं। उनमें से दो पंक्तियां चुनकर नेहरू पर हमला बोलना, वह भी नेहरू के निधन के 60 साल बाद – ये हरकत दिखाती है कि आपका नजरिया कितना तंग है और सोच कितनी छोटी। ऐसे कुत्सित कृत्यों पर लानत है!

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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