दोस्तों पिछली 28 तारीख को हमने अपनी वेबसाइट पर पंडित मेघराज शास्त्री द्वारा निर्देशित एक लेख लिखा था। उसमें उन्होंने शास्त्रोंक्त बात बताते हुए कहा था इस बार हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दीपावली कब मनाई जाये इस बात को लेकर संशय बना हुआ है इस संशय को दूर करने के लिए शास्त्रों के अनुसार सार गर्भित निर्णय है कि 01.11.2024 को ही दीपावली मनाना सही क्यों है इसके लिए सम्पूर्ण भारत में अमावस्या पहले दिन 31.10.2024 को दोपहर 03.53 बजे लगेगी और दूसरे दिन 01.11.2024 को शाम 06.17 बजे तक रहेगी तो स्वाभाविक है देश में अमावस्या दूसरे दिन सूर्यास्त के बाद भी रहेगी चाहे वह कितनी देर तक ही क्यों ना हो
दोस्तों शास्त्री जी ने इसके कई प्रमाण प्रस्तुत किए थे जिसका हम डिस्क्रिप्शन में लिंक दे देंगे। बहरहाल दोस्तों इस दिवाली पर यह विरोधाभास राष्ट्रीय विषय बन गया है। कई मुख्य धारा के चैनल इस पर कार्यक्रम कर रहे हैं, यहां पर उनको दिखाया नहीं जा सकता क्योंकि यह कॉपीराइट का मामला बन जाता है।
दोस्तों कई बार ऐसी की स्थिति आजाती है कि किसी त्योहार पर तिथि दो दिन आती है।
तो समस्या खड़ी हो जाती है किस दिन यह त्यौहार मनाया जाए,लेकिन दोस्तों साधारणतया समस्या का हल निकल ही आता है।लेकिन इस बार दिवाली पर अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है।
दोस्तों क्विक न्यूज़ ने इसके लिए राजस्थान भर के लगभग 25 पंडितों से बात की,और उनमें से 20 पंडितों ने 1 तारीख को दीपावली मनाने का निर्देश दिया और पांच पंडितों ने 31 तारीख को दीपावली मनाना उचित बताया।
दोस्तों अब आते हैं हम असली विषय पर दोस्तों पिछले कुछ वर्षों से हमारे हर त्यौहार पर इस तरह का विरोधाभास खड़े हो जाते हैं।दोस्तों हिंदू पंचांग के अनुसार तिथियां का घटना या बढ़ना कोई विशेष विषय नहीं है।
ऐसा होता ही रहता है समस्या तो तब खड़ी होती है जब किसी विशेष त्योहार पर ऐसा होता है तो राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी बहस शुरू हो जाती है।किसी विशेष पंडित ने इस विषय पर कुछ बोला नहीं और इसके सामने कई पंडित उसे नीचा दिखाने के लिए उसकी काट प्रारंभ कर देते हैं।
ऐसा ही कुछ हमारे शहर कुचामन सिटी में भी हुआ पंडित मेघराज शास्त्री ने अपना मत स्पष्ट किया (किसी के पूछने पर )दोस्तों पंडित जी से किसी ने पूछा और उन्होंने बताया कि दीपावली 1 तारीख को मनाना उचित होगा,और कुचामन के गणमान्य नागरिकों ने भी मीटिंग करके उनके अनुसार निर्णय ले लिया।
लेकिन फिर अचानक न जाने क्या हुआ हर मोहल्ले में अलग-अलग निर्णय हो गया और नतीजा दो दिन दिवाली और भोला भाला आदमी इस चक्कर में ऐसा उलझा की……….।
दोस्तों क्या ऐसा नहीं हो सकता की एसे विरोधाभासी विषयों पर पूरा समाज एकमत हो या किसी एक व्यक्ति के निर्णय को माने।🙏🏻🙏🏻