तो यह दोस्तों अब चलते हैं भ्रष्टाचार बनाम शिष्टाचार के एक और अन्य मामले की तरफ।दोस्तों राजस्थान सरकार ने सन 2009 में सहभागिता आवास योजना (पीपीपी) के तहत अफॉर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी 2009 में की शुरुआत की थी। इसकी क्रियान्वित्ती के प्रथम चरण में निजी विकास कर्ताओ की सहभागिता के तहत आर्थिक दृष्टि से कमजोर,अल्प आय वर्ग एवं मध्यम आय वर्ग के फ्लैट के निर्माण की योजना को अंजाम दिया जाना था।
अब दोस्तों कुचामन सिटी में ही निकटवर्ती तिरसिंगिंया गांव के निकट फ्लैट के निर्माण हेतु” श्री राम बालाजी डेवलपर्स” को नियुक्त किया गया।2009 में ही इस योजना को शुरू कर दिया गया था,अब दोस्तों 2009 से 2011-12 तक लगभग 450 फ्लेट्स के फॉर्म जमा कर दिए गए।और राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक द्वारा उनके लोन की भी व्यवस्था करवा दी गई। उपभोक्ताओं के अनुसार उन्हें बैंक द्वारा कहा गया कि फ्लैट की चाबी मिलने पर ही उन्हें लोन की किस्त चुकानी होगी।लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें बैंक द्वारा परेशान किया जाने लगा।दबाव दिया जाने लगा कि उनका लोन जमा कराया जाए।दोस्तों लगभग 80% उपभोक्ताओं द्वारा बैंक का लोन आज की तारीख में पूरा जमा करवा दिया गया है।
लेकिन इन्हें अभी तक फ्लेट्स मिलना तो दूर की कोड़ी है,कुछ भी नहीं दिखाया गया है। आईए दोस्तों जानते हैं उपभोक्ताओं का दर्द।
वही दोस्तों क्विक न्यूज़ ने बैंक ब्रांच मैनेजर से भी संपर्क किया जो की आरएमजीबी बैंक राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक जो की कुचामन वेली के बाहर स्थित है,आईए दोस्तों जानते हैं बैंक मैनेजर की बात।
दोस्तों हमने नगर परिषद के आयुक्त से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनकी अनुपस्थिति से हम उनसे संपर्क नहीं कर पाए। लेकिन हमने नगर परिषद उपसभापती श्री हेमराज चावल से संपर्क किया लिजीए जानते हैं हेमराज चावला की बात।
दोस्तों 2009 से लेकर अभी तक 15 साल बीत चुके हैं जो फ्लैट्स बने थे आप फोटो में देख सकते हैं कि खंडहर बन चुके हैं।उपभोक्ताओं को बैंक लोन दे चुका है,काफी उपभोक्ताओं ने अपना पैसा जमा भी करवा दिया है।यहां तक कि उपभोक्ताओं का कहना है कि डेवलपर उन्हें फ्लैट की चाबी नहीं दे रहे हैं साथ ही उनका यह भी कहना है कि नगर परिषद और डेवलपर की सांठ गांठ से उन्हें ठगा गया है।अब 450 उपभोक्ताओं को तीन श्रेणियों मे बांटा गया है।
1.1,78,000 जो लोन चुकाने के बाद 2,50,000 के लगभग बन गया है।
- 2,40,000 जो लोन चुकाने के बाद पड़ गया है लगभग 4 लाख।
- 3,78,000 जो लोन चुकाने के बाद खो गया है लगभग 5 लाख रुपए।
अब क्विक न्यूज़ के सम्मानित दर्शक खुद अंदाजा लगा सकते हैं। कि साढे चार सौ उपभोक्ताओं से कितनी राशि वसूल ली गई है। और बदले में उपभोक्ता को मिला क्या इंतजार इंतजार और बस इंतजार। अब दोस्तों क्या करें वह गरीब उपभोक्ता, दोस्तों सभी दरवाजै खटखटाने के बाद अंत में उपभोक्ता न्यायालय की शरण में जाने का मन बना रहा है। शायद उन्हें न्याय मिल जाए।