कुचामन में पिछले दिनों अस्पताल का मुद्दा गरमाया हुआ है। कुचामन वेली के अंतिम छोर पर दानदाता राजकुमार माथुर की भूमि पर चिकित्सालय की महिला एवं बाल चिकित्सा इकाई कों स्थानांतरित किया जा रहा है। क्विक न्यूज़ पर पहले भी चार कार्यक्रम विस्तार से कर चुका है। चारो कार्यक्रम आप देखिए पूरा मामला आपके समझ में आ जाएगा।

लेकिन विरोध में तीखापन अभी भी नहीं आ पाया है तो दोस्तों यह तो बात हुई विरोध की अब सवाल यह उठता है कि विरोध हो रहा है लेकिन विरोध में दम कितना है। दोस्तों कुचामन के हर नागरिक के मन में इस बात की टीस है कि अस्पताल का शहर से 8 किलोमीटर दूर जाना शहर के लोगों के हित में किसी भी सूरत में नहीं है। दूसरी बात कहां जा रहा है कि वहां अस्पताल के उपयुक्त जमीन नहीं है सभी जानते हैं कि वह लवणीय क्षेत्र है और डूब क्षेत्र भी है।
कुचामन के व्यापार के लिए भी यह उपयुक्त नहीं है फिलहाल एकमात्र हॉस्पिटल ही एकमात्र ऐसी जगह जहाँ पाँच हज़ार से सात हज़ार तक लोग आसपास के गांवो से आते हैं और और यह आते हैं तो दूसरी आवश्यक खरीदारी भी शहर की दुकानदारों से करते हैं जिससे व्यापार थोड़ा बहुत चल जाता है और व्यापारी मंदी की मार से बच जाता हैं। डीडवाना रोड पर जिओमार्ट( रिलायंस) और स्टेशन रोड पर डी मार्ट ने पहले ही शहर के व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। ऐसे में यदि अस्पताल भी शहर से 8 किलोमीटर दूर चला जाता है तो व्यापारियों के पास क्या बच जाएगा।

कुचामन के समाज सेवी युवा राजकुमार गोड़ का कहना है कि जब बस स्टैंड शहर के बाहर गया था तो सभी व्यापारियों ने मिलकर विरोध किया था नतीजा बसों का आवागमन पुनः पुराने बस स्टैंड से किया गया। अब यदि अस्पताल जाता है तो शहर के व्यापार को उससे कई गुना ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा। और उसकी जिम्मेदारी कोई भी नहीं लेगा।
अब विरोध की धार देखिए कुचामन केमिस्ट एसोसिएशन द्वारा विरोध अलग किया जा रहा है। कांग्रेस द्वारा अलग से विरोध हो रहा है। और शहर का व्यापार मंडल अपनी राजनीतिक मजबूरियों के चलते एक शब्द भी इस विषय में नहीं बोल रहा है। अब आप खुद सोच सकते हैं कि इस विरोध से किसके कान पर जुँ रेंगेगी।

बहरहाल अच्छी खबर यह है की अब मामला न्यायलय मे पहुंच गया है। कुचामन के ही एडवोकेट रमेश चौधरी पुत्र मोहन राम ने अस्थाई लोक अदालत में प्रकरण प्रस्तुत किया है। जिसमें खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी कुचामन सिटी, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी कुचामन सिटी,उपखंड अधिकारी कुचामन सिटी, श्री राजकुमार माथुर निदेशक श्री राम बालाजी डेवलपर्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड आदि को प्रतिपक्षी गण बनाया गया है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 19,20 के तहत दायर की गई इस याचिका के अंतर्गत जनहित में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, विवाद का उचित समाधान निकालना तथा प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच करवाने की मांग रखी गई है आईए जानते हैं याचिका के प्रमुख पहलुओं को।

- यह है कि प्रार्थी कुचामन सिटी का निवासी है जो समाज सेवा व जनहित में कार्य करता है। प्रार्थी का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए सुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करना है। यह प्रकरण मातृ एवं शिशु (एमसीएच) विंग के लिए कुचामन वैली में भूमि चयन और दान प्रक्रिया में प्रशासनिक अनियमितताओं, हितों के टकराव, और जनहित की अनदेखी से संबंधित है।
- यह है कि दिनांक 15.09.2023 को जिला कलक्टर डीडवाना-कुचामन ने आदेश क्रमांक राजस्व/2023/120 के तहत खसरा नंबर 2388 (ग्रामः कुचामन सिटी, कुल रकबाः 22.3000 हैक्टेयर) में से 4.0000 हैक्टेयर भूमि राजकीय जिला चिकित्सालय के लिए आवंटित की गयी। तहसीलदार कुचामन के आदेश क्रमांक राजस्व/2023/630, दिनांक 18.09.2023 के तहत यह नामांतरण प्रविष्टि क्रमांक 04 में दर्ज हुआ। शेष 18.3000 हैक्टेयर भूमि और खसरा नंबर 2389 (500 बीघा) की सरकारी भूमि आज दिन तक उपलब्ध है। जिसकी उपयोगिता एम.सी. एच विंग के लिए मानी जा सकती है।
- राजस्व/2020/19 के तहत खसरा नंबर 2388 में से 20.00 हैक्टेयर भूमि को सरकारी कार्यालयों, चिकित्सालयों और अन्य जन उपयोगी कार्यों के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया, जिसे प्रतिपक्षी संख्या 3 उपखंड अधिकारी ने दिनांक 07.04.2021 को पत्र क्रमांक राजस्व/2021/498 के तहत जिला कलक्टर को अनुशंसा के साथ प्रेषित किया।
- यह है कि प्रतिपक्षी संख्या 1 ने अपने पत्रांक 87, दिनांक 02-04-2025 के माध्यम से, प्रतिपक्षी संख्या 3 के पत्रांक राजस्व/2025/93, दिनांक 28-03-2025, तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डीडवाना-कुचामन के आदेश क्रमांक 3420, दिनांक 29-03-2025 का हवाला देते हुए, सरकारी भूमि की अनुपलब्धता का दावा किया। मुख्य

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के उक्त निर्देश के अनुपालन में, भामाशाह/दानदाता (प्रतिपक्षी संख्या 4) से संपर्क स्थापित किया गया।
- यह है कि यह भी उल्लेखनीय है कि प्रतिपक्षी संख्या 3 के उक्त पत्रांक राजस्व/2025/93. दिनांक 28.03.2025 की प्रतिलिपि मांगने पर प्रतिपक्षी संख्या 3 ने इसे जारी न होने का दावा किया, जो प्रतिपक्षी संख्या 1 खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पत्र क्रमांक 07. दिनांक 01.04.2025 के उल्लेख के विपरीत है।
- यह है कि प्रतिपक्षी संख्या 1 ने पत्र क्रमांक 87, दिनांक 01.04.2025 के माध्यम से प्रतिपक्षी संख्या 4 को एमसीएच विंग के लिए भूमि दान हेतु लिखा, जिसमें प्रतिपक्षी संख्या 3 के पत्रांक राजस्व/2025/93 और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के आदेश क्रमांक 3420, दिनांक 29.03.2025 का हवाला दिया गया।
- यह है कि प्रतिपक्षी संख्या 4 ने दिनांक 08.05.2025 को बख्शीशनामा के माध्यम से

निम्नलिखित भूमि दान कीः
ग्राम त्रिसिंज्ञाः खसरा नंबर 160/83 (0.9319 हैक्टेयर), खसरा नंबर 164/83 (0.1230
हैक्टेयर)।
ग्राम सरगोठः खसरा नंबर 573 (1.8590 हैक्टेयर)।
कुल क्षेत्रफल: 2.9139 हैक्टेयर
यह भूमि प्रतिपक्षी संख्या 4 की निजी गेटेड कुचामन वैली में है, जिसे प्रशासन जिला चिकित्सालय से 1 किमी से कम दूरी पर बताता है, जबकि समुदाय इसे 8-9 किमी दूर और असुविधाजनक मानता है।
- यह है कि खसरा नंबर 569, 570, 571 (ग्राम सरगोठ, कुल रकबा: 4.6300 हैक्टेयर) में प्रतिपक्षी संख्या 2 डॉ विजय कुमार गुप्ता (हिस्सा: 809/11575) और प्रतिपक्षी संख्या 4 (हिस्सा: 1929/23150) खातेदार हैं। यह भूमि दान की गई भूमि के सटे है, जो हितों के टकराव को दर्शाता है।
- यह है कि दिनांक 20.05.2025 को दर्जनों सामाजिक संगठनों ने कुचामन वैली में एमसीएच विंग बनाने के खिलाफ रैली निकाली और उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकारी कारी भूमि की उपलब्धता और मिलीभगत के आरोप लगाए गए।
- यह है कि मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को प्रक्रिया से बाहर रखा गया, और पत्रांक राजस्व/2025/93 की अनुपलब्धता पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है तथा उक्त पत्रांक की जानकारी प्रतिपक्षी संख्या 3 से मांगी गयी, किंतु प्रतिपक्षी के अस्पष्ट जवाबों ने प्रार्थी के अधिकारों का हनन किया है।
- यह है कि, यदि इस प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों कि मनमर्जी और मिलीभगत से मातृ एवं शिशु (एमसीएच) विंग कि वर्तमान में पूर्व से जिला चिकित्सालय के लिए आवंटित कि गयी भूमि से अन्यत्र दान शुदा भूमि में बनाया जाता है तो आमजन व पीड़ित वर्ग को आगामी अनेक वर्षों तक रोज भारी परेशानी व असुविधा का सामना करना पड़ेगा जो कतेही न्यायोचित नहीं है।

आधार
- यह है कि यह प्रार्थना पत्र लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट, 1987 की धारा 19 के तहत प्रस्तुत किया गया है, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अस्थायी लोक अदालत आयोजित करने का अधिकार देता है।
- यह है कि प्रतिपक्षीयों की कार्रवाइयां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं।
प्रार्थना
- यह है कि प्रार्थी माननीय लोक अदालत से निम्नलिखित प्रार्थना करता है:
(क) कि, प्रतिपक्षीयों को कुचामन वैली में एमसीएच विंग के लिए भूमि चयन और बख्शीशनामा (08.05.2025) को रद्द करने हेतु निर्देशित किया जाए।
(ख) कि, प्रतिपक्षीयों को एमसीएच विंग को शहर के 2 किमी परिधि में स्थानांतरित करने हेतु निर्देशित किया जाए।
(ग) कि, स्वतंत्र समिति गठित कर खसरा नंबर 2388 और 2389 की स्थिति, प्रतिवादी संख्या 1 से 4 की भूमि हिस्सेदारी और मिलीभगत, पत्रांक राजस्व/2025/93 की अनुपलब्धता की जांच हेतु निर्देशित किया जाए
(घ) कि, प्रतिवादियों को बख्शीशनामा और संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने तथा मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को प्रक्रिया में शामिल करने हेतु निर्देशित किया जाए।
- यह है कि मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को प्रक्रिया से बाहर रखा गया, और पत्रांक राजस्व/2025/93 की अनुपलब्धता पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है तथा उक्त पत्रांक की जानकारी प्रतिपक्षी संख्या 3 से मांगी गयी, किंतु प्रतिपक्षी के अस्पष्ट जवाबों ने प्रार्थी के अधिकारों का हनन किया है।
- यह है कि, यदि इस प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों कि मनमर्जी और मिलीभगत से मातृ एवं शिशु (एमसीएच) विंग कि वर्तमान में पूर्व से जिला चिकित्सालय के लिए आवंटित कि गयी भूमि से अन्यत्र दान शुदा भूमि में बनाया जाता है तो आमजन व पीड़ित वर्ग को आगामी अनेक वर्षों तक रोज भारी परेशानी व असुविधा का सामना करना पड़ेगा जो कतेही न्यायोचित नहीं है।

आधार
- यह है कि यह प्रार्थना पत्र लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट, 1987 की धारा 19 के तहत प्रस्तुत किया गया है, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अस्थायी लोक अदालत आयोजित करने का अधिकार देता है।
- यह है कि प्रतिपक्षीयों की कार्रवाइयां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत का उल्लंघन करती हैं।
प्रार्थना
- यह है कि प्रार्थी माननीय लोक अदालत से निम्नलिखित प्रार्थना करता है:
(क) कि, प्रतिपक्षीयों को कुचामन वैली में एमसीएच विंग के लिए भूमि चयन और बख्शीशनामा (08.05.2025) को रद्द करने हेतु निर्देशित किया जाए।
(ख) कि, प्रतिपक्षीयों को एमसीएच विंग को शहर के 2 किमी परिधि में स्थानांतरित करने हेतु निर्देशित किया जाए।
(ग) कि, स्वतंत्र समिति गठित कर खसरा नंबर 2388 और 2389 की स्थिति, प्रतिवादी संख्या 1 से 4 की भूमि हिस्सेदारी और मिलीभगत, पत्रांक राजस्व/2025/93 की अनुपलब्धता की जांच हेतु निर्देशित किया जाए
(घ) कि, प्रतिवादियों को बख्शीशनामा और संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने तथा मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को प्रक्रिया में शामिल करने हेतु निर्देशित किया जाए।