Saturday , 15 March 2025

कड़ाके की ठंड में स्कुल जाने को मजबूर छोटे बच्चे

      दोस्तों निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी का आलम यह है कि उनके लिए राज्य सरकार के आदेश,कलेक्टर के आदेश, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के नोटिस,कोई मायने नहीं रखते राज्य सरकार ने शीतकालीन अवकाश के रूप में 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक अवकाश रखने के आदेश दिए थे। तेज सर्दी को देखते हुए राज्य के लगभग 17 जिलों ने अवकाश को आगे बढ़ाया,डीडवाना कुचामन जिले ने भी अवकाश को पहले 7 जनवरी तक उसके बाद 11 जनवरी तक कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों के लिए अवकाश को बढ़ाया। (मानो कक्षा 5 से आगे पढ़ने वाले बच्चों को ठंड बिल्कुल भी नहीं लगती है यानी वह ठंड प्रूफ है। ) खैर छोड़िए इस बात को लेकिन निजी शिक्षण संस्थान पांचवी तक के बच्चों की भी छुट्टी करने को तैयार नहीं है।

            आज लगभग सभी स्कूलों में छोटे बच्चों को बुलाया गया ज़बकि आज सुबह से ही बरसात चालू है।और उसके कारण विजिबिलिटी भी लगभग 10 फीट से ज्यादा नहीं है। प्रस्तुत वीडियो में आप देख सकते हैं मौसम के हालात और दृश्यता की स्थिति।दोस्तों इतनी ज्यादा ओस मैं बच्चों की गाड़ी चलाना यानि बाल वाहिनी चलाना कितना खतरनाक हो सकता है आप खुद समझ सकते हैं।

             लेकिन हमारे निजी विद्यालय ऐसे में स्कूल खोलकर और छोटे बच्चों को बुलाकर पता नहीं क्या साबित करना चाहते हैं।असलियत यह है कि बच्चे तो बच्चे खुद अध्यापकों की भी हाथ इस सर्दी के कारण काम नहीं कर पाते हैं।मैंने खुद ने अध्यापन का कार्य किया है यह अच्छी तरह से मालूम है कि अध्यापकों के हाथ इस सर्दी में बोर्ड पर लिखने में अक्षम होते हैं।

            लेकिन इसको स्कूल प्रशासन लोगों में अपनी झूठी साख दिखाने  को लेकर बच्चों को स्कूल बुलाते हैं।वह भी सरकारी आदेश की अवहेलना करते हुए अभी कल ही निकटवर्ती शहर परबतसर की एक स्कूल जिसका नाम जीनियस स्कूल है इस  स्कूल की बस 20 फीट गहरे गड्ढे में अनियंत्रित होकर गिर गई थी।आइये दोस्तों क्या कहती है इस बारे मे आम जनता।

             गनीमत यह रही कि किसी बच्चे को ज्यादा चोटे नहीं आई लेकिन कुछ भी हो सकता था।कुछ दिन पूर्व कुचामन में भी एक स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी लेकिन ना तो विद्यालय प्रशासन इन बातों में सुधार लाता है ना ही अभिभावक इस बात पर ध्यान देते हैं। और ना ही प्रशासन उन पर अंकुश लगाने की कोशिश करता है।

            देखा जाए तो इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार अभिभावक है जो कि बगैर विचार किया अपने लाडले को मौत के मुंह में धकेल देते हैं इतिहास गवाह है कि आज तक किसी भी अभिभावक ने स्कूल बस की स्थिति और छुट्टियों के बारे में विद्यालय प्रशासन को अपना विरोध नहीं जताया हैं।अब ज़ब अभिभावक को ही इस गोरख धंधे पर कोई शिकायत नहीं है तो विद्यालय प्रशासन तो क्यों ही कार्रवाई करेगा।

            अभी कुछ दिन पहले ही क्विक न्यूज़ ने इस पर एक कार्यक्रम किया था एक निजी कॉलेज द्वारा की जा रही है अवैध वसूली पर उसका कोई नतीजा नहीं निकला ना तो प्रशासन ने ही संज्ञान लिया और ना ही अभिभावक ने हमारी बात का समर्थन किया। अब बात जब अवैध वसूली पर आ गई है तो निजी स्कूलों की हाड तोड़ फीस तो है ही साथ ही उनका अलग से पाठ्यक्रम,उनकी यूनिफॉर्म,और समय-समय पर प्रैक्टिकल और लेसन के नाम पर लिया जाने वाला पैसा।

             मतलब अभिभावक अभिभावक ना होकर पैसा उगलने वाली मशीन बन गया है लेकिन अभिभावक कभी भी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता है।दोस्तों आजकी इस कड़ाके की ठंड में छोटे-छोटे बच्चों का स्कूल जाना क्विक न्यूज़ को तो सहन नहीं होता।अब अभिभावको या आम जनता को सहन होता है तो उनकी वे जाने धन्यवाद दोस्तों शुक्रिया आभार

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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