सन् 2015 में हमारे वर्तमान प्रधान मंत्री ने एक सपना देखा था। या यूं कहें कि जनता को सपना दिखाया था या यू भी कह सकते है (गृहमंत्री अमित शाह के शब्दो में) चुनावी जुमला।
सपना था सन् 2022 में जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मनाएगा तब देश के हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा घर में नल होगा नल मे जल होगा। बिजली होगी और हर घर में गेस कनेक्शन होगा। आज हम 2022 मे जी रहे है। अब देखते है कि ये सपना कहां तक पूरा हुआ।
योगी बाबा के उतर प्रदेश में 60,00,000 से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास योजना से घर बनने थे लेकिन बने है 15,73,000 यानी लगभग 27%
बिहार में 15,00,000 बनने थे – 3,02,000 यानी 21% हरियाणा में 22,00,000 बने है 2,67,000 यानी 8% मध्य प्रदेश 16,50,000 बनने थे 708400 यानी 40% असम में 7,50,000 बने 1,17,000 15%
यह बात हुर्इ जहां पर बीजेपी सता में है अब बात करते है उन राज्यों की जहां पर बीजेपी कभी सता में नही आर्इ
महाराष्ट्र 45,00,000 बनने थे बने है 11,72,000
झारखण्ड 6,00,000 बनने थे बने है 1,98,000
पंजाब 3,60,000 बनने थे बने है 90,000 यानी 25%
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पुरे देश में 8,31,000 करोड़ रूपए जारी करने थे
जारी किये गये 1,20,000 करोड़ आगे वादा किया गया है 2,03,000 करोड़ रूपए ओर जारी करेंगें।
दुसरा वादा बिजली का
जब राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्र्मू के नाम का एलान किया गया तब पता लगा कि उनके गावं तो में बिजली है ही नही वहां के लोग केरोसिन लेम्प पर निर्भर है। यहा तक के यहां के लोग अपने मोबार्इल फोन चार्ज करने के लिए पड़ोस के गांव में जाते है।
इस देश में कुल 6,64,000 हजार गांव है।
5,97,000 गांवों में बिजली पहुंच गर्इ है
आप सोच रहे होंगे कि सही तो है बिजली पहुंच तो गर्इ लेकिन रूकिए,
अटल बिहारी बाजपेर्इ जब तक सता में थे तब तक 5,12,000 गांवों में बिजली पुहंच गर्इ थी
प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के समय तक 5,60,000 गांवो में बिजली पहुंच चुकी थी।
2014 से लेकर अब तक 5,97,000 गांवों में बिजली पुहंची है अभी भी 1,64,000 गांवों में बिजली पहुंचना बाकी है यह सरकार के दिए गए आंकड़े है
राष्ट्रपती द्रोपदी मुर्मु के गांव में बिजली की बात आर्इ तो हंडकंप मच गया और 26 जून को बकायदा 3 ट्रक में 38 पोल लादे गये। 900 मिटर केबल लादी गर्यी और कर्इ कन्डक्टर लादे गये ओर उड़ीसा के मयूर भंज के उपखेड़ा गांव में बिजली पहुंचाने का काम हुआ लेकिन 1 किलोमीटर की दुरी पर दूरी गृहसाही गांव है और बादासाही गांव है वहां बिजली नही है।
अब आते है उज्जवला योजना पर
कुल गेस कनेक्शन में से 4,13,000 लोग ऐसे थे जिनके पास दुबारा रिफिल कराने का पैसा नही था 7,67,000 लोग 2017 के बाद एक भी रिफिल नही करवा पाया यानी जो 13,00,000 गैस कनेक्शन बांटे गये उनकी हालत क्या है यह हमारी आंखो के सामने है
सोचालय :- जब घर ही नही है तो शोचालय कहां से होगा
मनरेगा :- बजट में प्रोविजन था 73,000 करोड़ का, 4 महीनों में 48,000 करोड़ खतम हो गये। 25,000 करोड़ में आने वाले 8 महीने निकालने है। अभी ओसतन काम 21 दिनों का है आने वाले दिनों में यह और भी कम होगा मतलब औसत होगा 15 दिन यानी मनरेगा मजदूर को हम आधे महीने ही काम दे पायेंगे।
इसके ठीक विपरित बीजेपी के कार्यालयो की बात करे तो 7800 जिले है अगले 1 साल में बीजेपी का मुख्यालय हर जिले में होगा 215 बन चुके है 500 तैयार हो रहे है 27 जिलों में र्इमारत तैयार हो चुकी है उद्धघाटन का इंतजार है सेन्ट्रल विस्टा की कहानी लगभग हर भारतीय जानता है।
तो क्या बीजेपी सिर्फ अपने लिए काम करती है
विश्वस्त सुत्रो से साभार