Saturday , 15 March 2025

एक बहस घर घर तिरंगा अभियान को लेकर

बहस में शामिल लोग

  1. श्री मती पुष्पा देवल
  2. श्री युसुफ खान
  3. श्री संजीव चौधरी
  4. श्री मनोज
  5. श्री नूह मोहम्मद रंगरेज
  6. अकीक

युसुफ खान :- 2012-2013 के बाद सोशल मीडिया पुरी तरह से अस्तित्व में आया है।
क्या  इससे पहले लोग देश भक्त नही थे? जिन्होने DP नही लगार्इ।
या आज सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाला ही देश भक्त ही कहलाएगा?

मनोज :- जबसे व्हाट्सप शुरू हुआ है। हमने तो दोनों राष्ट्रीय त्योहारों पर लगभग सभी लोगों को तिरंगे की डीपी लगाते देखा है फिर इस बार स्पेशल क्या है। कही फिर ताली थाली जैसा को इवेन्ट तो नही या समस्या में ध्यान भटकाने की कोशिश।

युसुफ खान :- इन्वेन्ट ही बचे है बाकी करने धरने को कुछ है नही।

पुष्प देवल :- गांधी जी ने भी कहा था अगर तिरंगे से चरखे को हटाया गया तो मे तिरंगा को सलामी नही दूगां।

मनोज :- फिर भी चरखा हटा और सलामी भी दी गर्इ।

हुसेन :- मोदी जी ने भी कहा था में देश को बिकने नही दूगां।
थोड़ा बहुत बचा है।

अन्य :- बात में दम है नेताजी

हुसेन :- नागपुर के RSS मुख्यालय में 52 साल तक तिरंगा ना लगाने वाले आज नसीहत दे रहे है कि DP में तिरंगा लगाओं।

परसा राम :- याद है ना मीत्रो चुनाव खत्म होते ही नाम के आगे से चोकीदार हटा लिया गया था।

हुसेन :- बहुत अच्छा चौकीदार मिला है देश को यह।

अन्य :- जब प्रोपर्टी बेचनी ही है तो चोकीदार का क्या काम

युसुफ खान :- हुसेन जी ये जो जगह जगह नेताओं की गाड़ियों में और घरों में पैसे मिल रहे है ये सब आपकी पार्टी के नेता ही क्यो है। इसका भी जवाब अपनी पार्टी से लेना।

हुसेन :- तिरंगा हमारे दिल में है, लहु बनकर हमारी रगो में है। 31 दिसम्बर 1929 को पडिंग नेहरू ने रावी नदी के तट पर तिरंगा फहराते हुए कहा था अब तिरंगा पहरा दिया है ये झुकना नही चाहिए।
आर्इए हम सब देश की अखंड एकता का संदेश देने वाले इस तिरंगें को अपनी पहचान बनाए।
G-DP  नही सुधार पाए तो देश को DP बदलने में लगा दिया।

परसाराम :- जो लोग RSS पर उंगली उठाते है ना देख लेना इस 15 अगस्त को मोहन भागवट RSS कार्यालय (नागपुर) में खुद तिरंगा फहराकर सभी की बोलती बंद कर देंगे।

नूरं :- गुजरात में गरबा पर 18% GST वाराणसी में नमोघाट में डुबकी लगाने पर GST अमृतसर के धार्मिक सराय में रूकने पर GST जहां से भी सरकार को लूट सम्भव लग रही है लूट रहे है।
यह अमृत काल है इन्जॉय कीजिए दोस्तो।

अकीक :- पुष्पा मेडम साल के 365 दिन ना सही हमारे राष्ट्रीयपर्व यानी स्वतंत्रता दिन और गणतन्त्र दिवस पर तो RSS मुख्यालय में झण्डा फहरा ही सकते थे।

पुष्पादेवल :- उसमें मनाही नही थी, लेकिन शायद जैसे आम आदमी के मन में राष्ट्रीय ध्वज संहिता का जो रूप पेश किया गया था उसमें कर्इ तरह के दण्ड प्रावधान थे। इसलिए उन प्रावधानों के डर से आम आदमी भी राष्ट्रीय पर्व पर अपने घरों पर झण्डा नही फहराते RSS के लोगो ने भी नही फहराया

युसुफ :- वैसे जिस संगठन की बात चल रही है वह राजनैतिक संगठन तो नही है पर अगर आपकी इजाजत हो तो एक पत्रकार है श्याम मीरा सिंह
उनका ट्वीट है हम पूरे मामले में वे शेयर करू

पुष्पा :- ये पजांब केसरी और नवभारत टाइम्स की न्यूज है तो आप खुद ही पढलो

 

अकीक :- ये तो RSS की करनी पर पर्दा डालने वाली बात है। क्योंकि जब सन् 2000 में नवीन जिन्दल के कानून लड़ार्इ लड़कर, आम आदमी को झण्डा फहराने का अधिकार दिलाया तब भी RSS नें 2002 तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा नही फहराया।
अब इन दो साल 2000 और 2001 में RSS ने तिरंगा क्यों नही फहराया।
क्या कारण रहा।

परसाराम :- हम सरकार का विरोध करते है तो आप कतर्इ नही समझे कि हम विपक्ष के लिए काम कर रहे है हमे जिस सरकार की नितिया किसान, जवान, मजदूर विरोधी लगेगी उसका विरोध हम जरूर करेंगें।

अकीक :- गलत नितियो का हंर किसी को विरोध करना चाहिए चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो
आज कल भारत सरकार या राजस्थान सरकार नही कांग्रेस या वीजेपी सरकार होती है।
जब इनका विरोध करे तो लोग दिल पर ले लेते है।
और राष्ट्र द्रोही की संज्ञा दी जाती है।

युसुफ खान :- मैने जो श्याम सिंह का ट्वीट भेजा है। उसको लेकर क्या कहना है मेडम जी

पुष्पा :- कौन श्याम सिंह?

पुष्पा :- युसुफ भार्इ आप विदवान होकर भी बचकानी बाते करेंगे मुझे ये उम्मीद नही थी। में कर्इ बार बच्चो को आपकी विद्वता का उदाहरण देती हूं।

  • 1929 में जो ध्वज था वे कांग्रेस पार्टी का ध्वज है ना कि राष्ट्रीय ध्वज
  • राष्ट्रीय ध्वज अपने पूर्ण स्वरूप में 1947 में आया था, 1947 में संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रारूप को पास किया था।
  • 1950 मे राष्ट्रीय ध्वज संहिता लागू की गर्इ थी।
  • आजादी की लड़ार्इ मे कर्इ ंलोग अपने अपने तरीके से लड़ रहे थे लेकिन मकसद सभी का एक ही था। देश को आजाद कराना उनके ध्वज या प्रतीक भी अलग अलग थे। सब पर किसी का ध्वज लागू नही होता था।
  • उदाहरण स्वरूप नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का आजाद हिन्द फोज का ध्वज जिस पर आप गोर कीजिए-

 

हुसेन :- विडीयों आम आदमी की पीड़ा
जहीर खान :- आप भी भार्इ साहब क्या बात करते है……..जो तिरंगा का अपमान करते थे उनके हाथ में तिरंगा कैसे हो सकता है। लेकिन इन्तजार कीजिए अब इतिहास में ये लोग हो देशभक्त कहलाने वाले है।

हुसेन :- तिरंगे को हमेशा ऊँचा रखने के लिए लाखो देशवासियों ने अपने प्राणों की आहूतिया दी है, लेकिन एक संगठन ने तिरंगे को अपनाने में हमेशा मना किया। 52 सालो तक नागपुर में अपने मुख्यालय पर तिरंगा नही फहराया लगातार तिरंगे को अपमानित किया आज उसी संगठन से निकले हुए लोग तिरंगे का इतिहास बता रहे है, हर घर तिरंगा अभियान चला रहे है।
सिर्फ अपने प्रचार में डुबे उन लोगो से फिर वही सवाल पूछ रहा हूं।

  • 52 सालो तक RSS ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा क्यो नही फहराया।
  • खादी से राष्ट्रीय ध्वज बनाने वालो की आजिविका क्यो छीनी जा रही है।
  • चीन से मशीन निर्मित पॉलिस्तर झण्डे के आयात की अनुमति क्यो द़ी।

आसिफ खान :- अतिंम सस्ंकार पर टेक्स बाकी है, उसे भी अभी लगाना जरूरी है।

जहीर खान :- संसद में वित्त मंत्री ने कह दिया ‘अंतिम संस्कार पर GST नही लगेगा’
इन्हे कहते हुए शर्म नही आर्इ
बहुत बड़ी जमात आंखे बंद करके धार्मिक उन्माद मे ंडूबी हुर्इ है जब तक डूबी रहेगी। एसी बाते बेबाक अदांज में सामने आती रहेगी।

खान जहीर     विड़ियों

अब्बास खान :- इनके बिल का विरोध करने वाले लोग कौनसे धर्म के थे।

अमित शाह ने बहुत बड़ा रहस्यां उद्धघाटन किया है।
अब उन्हे यह भी बता देना चाहिए। कि-लद्दाख एवं अरूणाचल भी सीमाओं पर चीनी सेना जो भारत विरोधी हरकते कर रही है उसे मोदी जी से पूछ कर ही किया जा रहा है?

पुष्पा :- हिन्दु संगठन का विरोध किया संविधान अनुसार कि हिन्दु कोड़ बिल ही क्यो, कॉमन सिविल कोड़ क्यो नही यह बात राष्ट्रपति जी ने की थी।
अब्बास साहब विरोध किया था। ना तों आजादी मांगी थी ना ही बटवारा।

अकीक :- मेडम क्या बटवारे के लिए अकेला मुसलमान ही जिम्मेदार है क्या कोर्इ और जिम्मेदार नही था।
और अगर कोर्इ एक संगठन या राजनैतिक पार्टी को आप बटवारे का जिम्मेदार मानती है तो बताइऐ क्या पूरी इस्लाम बिरादरी जिम्मेदार थी।
आपने जो लिखा है एक धर्म के लोगों ने तो देश को टुकड़े तक कर दिये थे, तो ये कौनसा धर्म है, खुलकर बताइये।

युसुफ :- पर बात तो तिरंगे और किसी गेर राजनैतिक संगठन की हो रही थी………….
बात 2002 तक तिरंगे को ना फहराना और उसके बाद अचानक अलग अलग मुहीम चलाने को लेकर हो रही थी आपने इसे धर्म से जोड़कर बात डाइवर्ट करने की कोशिश की है
वैसे यहाँ ध्यान रखने योग्य बात ये है। कि डीपी पर तिरंगा 2 दिन बाद हट जाएगा लेकिन जिनकें मन मे तिरंगा है, वो मरने तक या उसके बाद भी उसकी पीड़ियों तक दिल और दिमाग दोनों में जिंदा रहेगा।

युसुफ खान :- जहां तक मेने पड़ा है
उसने एक मुखपत्र में लिखा है उसको बताया गया है………….ना कि अलग कोर्इ धर्म से जुड़ी बात
हो सकता है कही लिखा हो और मेरे ध्यान मे ंनही आया हो वैसे 26 जनवरी 2001 कोब भे बाबा मेण्डे और अन्य दो पर मुकदमा क्यो किया गया…………..
फहराया तो उन्होने तिरंगा ही था।

पुष्पा :- युसुफ भार्इ गांधी जी ने भी तिरंगे का विरोध किया था जब चरखा हटाया गया था।

युसुफ :- हो सकता है, इसमें इन्कार नही………….पर ये डिजाइन/बनावट को लेकर विरोध कह सकते है।
राष्ट्रीय ध्वज को लेकर कोर्इ विरोध नही था।
वेसे गांधी जी 1948 में दुनिया से चले गए थे।
बात 2002 और 2022 की हो रही है।
इस्लाम गोरी :- स्क्रीन शॉट

हिन्दु कोड बिल को चार भागो में बाटा गया था जिसके कारण डा. अम्बेडकर ने इस्तिफा दिया था।  ज्यादातर विरोध स्त्रियों को दिए गए अधिकार जैसे पिता की संपति में बेटी का अधिकार, ओरतो को तलाब का अधिकार जैसे पर कानून बना था। विरोध करने वाले वाले कौन थे और क्यू हो रहा था ये आप ज्यादा बेहतर समझ सकते है।

आसिफ खान :- तो क्या हमारी हालत यह हो गर्इ है कि हम अपना राष्ट्रीय ध्वज भी नही बना सकते है और उन ललूलालो का क्या होगा जो जब तब चीनी सामानों का बहिष्कार करने का आह्वान करते रहते है, तो क्या हम इस चीन आयातित राष्ट्रीय ध्वज का भी बहिष्कार करेंगें। प्रश्न तो बनता है।

युसुफ खान :-  ध्वज संहिता में तिरंगा हमेशा आयताकार होना चाहिए सोशल मीड़िया पर स्टेटस और डीपी लगाते समय ध्यान रखे।

और बहस खत्म

जैसे कि बहस चली…..

About Manoj Bhardwaj

Manoj Bhardwaj
मनोज भारद्धाज एक स्वतंत्र पत्रकार है ,जो समाचार, राजनीति, और विचार-शील लेखन के क्षेत्र में काम कर रहे है । इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना है और उन्हें उत्कृष्टता, सत्य, और न्याय के साथ जोड़ना है। इनकी विशेषज्ञता समाचार और राजनीति के क्षेत्र में है |

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