प्राचीन श्री दिगम्बर जैन नागौरी मन्दिर के प्रांगण में संत आचार्य गुरुवर 108 श्री विद्यासागरजी महाराज के परम आशीर्वाद व अभिनवाचार्य 108 श्री समय सागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं अर्हं योग प्रणेता पुज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागरजी महाराज के आशीर्वाद से नवीन वेदियों के निर्माण एवं सम्पूर्ण नवीन स्वर्ण कार्य हेतु विराजमान जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं को अस्थाई वेदियों में विराजमान किये जाने हेतु शान्ति विधान का आयोजन प्रतिष्ठाचार्य पं. अमित भैय्या जी (वास्तु) इन्दौर के सानिध्य में किया गया |
जिसमे शांतीधारा करने का सौभाग्य कमलकुमार-गुणमाला पाण्ड्या को मिला। सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य विमलचन्द-सुमन झांझरी को प्राप्त हुआ। कुबेर इन्द्र बनने का सौभाग्य ओमप्रकाश-किरण झांझरी को प्राप्त हुआ। अष्टकुमारी बनने का सौभाग्य शची, धनश्री, नीतु, ममता झांझरी, भारती गंगवाल, मीरा पाण्ड्या को मिला।
प्रातः 7 बजे मंगालष्टक, दिगबंधन, अभिषेक, शान्तिधारा, श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक, देव आज्ञा, हॉल की शुद्धि, जाप्य संकल्प, विनायक यंत्र पूजन, एवं शान्ति विधान एवं अष्टकुमारीयों द्वारा मंत्रोचार द्वारा वेदी शुद्धि की गई। जिसमें सैकडों श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया।