
खबरों के लिहाज से आज का दिन शून्य रहा कोई ऐसी खबर नहीं थी की जिसे क्विक न्यूज़ के मंच पर साझा किया जा सके। तो हमने भी आज निर्णय लिया कि कुछ खबरों का पोस्टमार्टम ही कर लिया जाए।
तो दोस्तों पहली खबर है राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से जुड़ी। यह खबर निकल कर आ रही है तो राजस्थान के शिक्षा मंत्री आज प्राइवेट स्कूलों के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है।दोस्तों गाइडलाइन आपके सामने हाजिर है आपकी पूरी स्क्रीन पर।
गाइडलाइन का पहला पॉइंट है प्राइवेट स्कूल राजस्थान सरकार द्वारा अप्रूव पाठ्यक्रम की किताबें ही इस्तेमाल कर सकेंगे।अप्रूव पाठ्यक्रम मतलब एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम में माननीय शिक्षा मंत्री हर निजी स्कूल में वही पाठ्यक्रम चलता है। हर विद्यार्थी के पास यह सारी किताबें मिल जाएगी।समस्या वहां शुरू होती है जब किसी निजी विद्यालय द्वारा इन किताबों के अलावा किसी अन्य पब्लिशर द्वारा प्रकाशित पाठ्यक्रम समानांतर रूप से चलाया जाता है। और उसे दूसरे पाठ्यक्रम पर 50 से 65% तक का कमीशन मिलता हैं।यदि आप कुछ करना ही चाहते हैं तो दूसरे पब्लिशर द्वारा प्रकाशित पाठ्यक्रम को बंद करवाए ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके और बच्चा भी बेग के भारी वजन से बच सके।

दूसरी बात आपके आदेश के अनुसार पाठ्यक्रम से संबंधित तमाम जानकारी सेशन स्टार्ट होने से एक महीने पहले स्कूल के बोर्ड पर लगानी होगी और वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। महोदय एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम के किताबें इतनी सस्ती होती है कि उन पर किसी भी अभिभावक को आपत्ति नहीं होती और यह दरे राज्य सरकार की जानकारी में होती है। अब आप अन्य पाठ्यक्रम के लिए बात कर रहे हैं तो लगता है आप निजी विद्यालय के छूट दे रहे हैं दूसरे पब्लिशर द्वारा प्रकाशित पाठ्यक्रम को चलाने की बस कुछ औपचारिकता निभाए और अच्छी कमाई करें।
तीसरी बात आपके आदेश के अनुसार पेरेंट्स और स्टूडेंट्स पर किताबें और कॉपीया खरीदने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा की किसी विशेष दुकान से ही कोर्स खरीदा जाय। तो मान्यवर कोई भी स्कूल संचालक कभी भी किसी पर दबाव नहीं बनाता है नहीं अपनी कमीशन वाली दुकान का नाम बताता है। वह तो बस एक पर्ची देता है अभिभावक को जिस पर कोर्स की किताबें कॉपीया और अन्य सामग्री लिखी होती है और उसकी रेट पहले से ही अंकित होती है मतलब अभिभावक के लिए बारगेनिंग की सम्भावनाए भी खत्म। साथ ही उसे पर्ची पर दुकानदार का नाम कहीं भी नहीं लिखा होता है।

चौथी बात स्टूडेंट और पेरेंट्स बाजार से कहीं से भी यूनिफॉर्म खरीद सकेंगे और 5 साल तक विद्यालय अपनी यूनिफार्म नहीं बदल सकेंगे। तो सरकार यहाँ भी पाठ्यक्रम वाली बात ही लागु होती है। हाँ 5 5 साल वाला निर्णय बहुत ही अच्छा है लेकिन इसमें भी बाध्यता लाई जाए।
इसके बाद आपके निर्णय अनुसार स्कूल प्रबंधन द्वारा शिक्षण सामग्री पर किसी भी तरह का अपने शिक्षण संस्थान का नाम अंकित नहीं करवाएगा। महोदय शिक्षण सामग्री पर कोई भी स्कूल नाम अंकित नहीं करवाता है। हां लेखन सामग्री पर यानि कोंपियों का नाम अंकित होता है। जिसका आपने कहीं भी जिक्र नहीं किया है। एक होती है डायरी में डायरी जो कि हर निजी विद्यालय बाजार से लाने के लिए बाध्य करता है।आप आदेश कीजिए की डायरी स्कूल प्रशासन द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को निःशुल्क दी जाएगी।

और अब अंतिम बात आपने आदेश दिए की स्कूल का पाठ्यक्रम कम से कम तीन दुकानों पर होना आवश्यक है तो माननीय आपके आदेश करने की देर थी दुकानदारों में तीन-तीन के ग्रुप बना लिए हैं और किताबो की बिक्री कों आपस में बांट लिया है। अब बताइए आपके आदेश का मूल्य क्या रह गया है।
एक और खबर भी आज की ही है और गौवंश से जुड़ी है और यह खबर हमने नागौर डेली से साभार ली है।

दोस्तों खबर है कि नगर परिषद के नेता प्रतिपक्ष श्री अनिल सिंह मेडतिया ने आज नगर परिषद आयुक्त और उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सोपा और ज्ञापन का विषय था नगर परिषद डंपिंग यार्ड जो की निराश्रित गौवंश के लिए अभिशाप बन गया है। नगर परिषद द्वारा शहर भर का प्लास्टिक और अन्य जहरीला कचरा यहाँ डाला जाता है नतीजा गौवंश गंभीर रूप से बीमार हो जाता हैं और उनकी मौत का सबसे बड़ा कारण यह डंपिंग यार्ड बन गया है।

अपनी बात शुरू करने से पहले एक बात स्पष्ट रूप से कह दूं कि व्यक्तिगत रूप से मे श्री अनिल सिंह मेडतिया का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ। मैंने कई बार उन्हें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते देखा है। गरीब का साथ देते हुए देखा है। लेकिन आज इनके द्वारा ज्ञापन वाली बात हजम नहीं हुई। वैसे मेरी किसी बात का बुरा लगे माफी चाहूंगा।

अनिल सिंह जी आप एक बड़ी नगर परिषद के नेता प्रतिपक्ष जैसे जिम्मेदारी वाले पद पर आसीन है। नांवा विधानसभा के विधायक एवं राजस्व राज्य मंत्री श्री विजय सिंह चौधरी से आपकी काफ़ी नज़दीकिया भी। मे वो दिन नहीं भुला हूँ ज़ब विधानसभा चुनाव से पहले आपने प्रण लिया था की ज़ब तक श्री विजय सिंह चौधरी जीत नहीं जाते आप अपने घर नहीं जाएंगे और आपने वो प्रण एक लम्बे समय तक निभाया भी था और पूरा भी किया था।

अभी कल ही से स्वतः संज्ञान से अंबेडकर जयंती के मौके पर अंबेडकर विकास समिति के लिए दस बीघा जमीन और बाबा साहब की मूर्ति के ऊपर छतरी बनाने के लिए पैसा देने की बात मंत्री महोदय ने कही है। अब आप यदि विधायक महोदय से इस डंपिंग यार्ड के चारो तरफ तारबंदी की बात रखेंगे तो मुझे नहीं लगता कि आपकी बात को किसी भी प्रकार से टाला जा सकता है।

अब हो सकता हो की आप मंत्री महोदय से कहना नहीं चाहते हो तो आप नेता प्रतिपक्ष हैं। आप स्वयं कोटेशन लेकर आयुक्त जी के सामने उसे रखकर तार बंदी की मांग कर सकते हैं। और क्योंकि सरकार आपकी है तो मुझे यहां यह भी नहीं लगता कि आपकी बात टालने की आयुक्त महोदय हिमाकत करेंगे और यह बहुत बड़ा काम नहीं है। चलिए यह सब छोड़िए आप स्वयं बहुत बड़े दानदाता है यह मैं भी जानता हूं अच्छी तरह से जानता हूं।आप इस तार बंदी कों करवाने में स्वयं सक्षम है। यदि आप ऐसा करवा देते हैं तो मैं शर्तिया कह सकता हूँ की हज़ारो गौमाता का आशीर्वाद आपको मिलेगा।

वर्तमान में जो आपका कद है आने वाले समय में इससे कही चार गुना ज्यादा बड़ा कद आपका होगा। हमें नहीं लगता की वर्तमान परिस्तिथियो मे ये ज्ञापन वाली राजनीति आपके लिए है। आप खुद आगे आकर काम करवाइए ताकि आम आदमी जो आपसे आशा करता है वो पूरी हो सके। साथ ही एक निवेदन आपसे करना चाहूंगा कि पिछले दिनों गौमाता के साथ जो तेजाब कांड हुआ था। अभी तक उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकाला है।आप प्रशासन पर दबाव बना कर उसका निस्तारण करवाए ताकि गौमाता के अपराधियों कों सज़ा मिल सके। वरना ऐसे दुष्कर्म करने वाले लोगो के हौसले बुलंद होते जाएंगे।